
इंदौर। महिला एवं बालविकास विभाग द्वारा बाल विवाह रोकने की मुस्तैदी दिखाते हुए कई परिवारों के बच्चों का विवाह तो इस समझाइश के साथ रुकवा दिया कि वे बच्चों के बालिग होने पर उनका विवाह करें और उनके द्वारा विवाह में बुक कराए गए घोड़ी, बग्घी, टेंटवाले उनकी राशि लौटाएंगे, लेकिन अब आश्वासन देने वाले नदारद हो गए हैं और पैसे लेने वाले चक्कर लगा रहे हैं। प्रशासन की सख्ती और तय नियमों के आधार पर बाल विवाह निरोधी उडऩदस्ता छापामार कार्रवाई कर बाल विवाह तो रोक रहा है, लेकिन उनकी यह कार्रवाई गरीब परिवारों के लिए गले की हड्डी बन रहा है।
विभागीय अधिकारियों ने शादी में खाने से लेकर टेंट वाले और घोड़-बग्घीवालों को पैसे लौटाने के नोटिस तो दे दिए, लेकिन प्री बुकिंग के पैसे अब तक परिवारजनों को नहीं मिल सके हैं। शंकर कुमार का बगीचा निवासी उमराव पंवार की बेटी और बेटे के विवाह समारोह पर प्रशासन ने छापामार कार्रवाई करते हुए सेवाप्रदाताओं से पैसे वापस दिलाने का वादा भी किया था, लेकिन अब उन्हें धक्के ही नसीब हो रहे हैं। ज्ञात हो कि बाल विवाह प्रतिशेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत सेवा देने वाले पंडित, मौलवी, घोड़ा, बग्घी, बैंड, मांगलिक भवन, रसोइये तक को सजा दिलाने का प्रावधान है, लेकिन विभाग ने उन्हेंं सिर्फ नोटिस थमाया है। अब तक किसी के भी खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है।
पल्ला झाड़ रहे अधिकारी
ज्ञात हो कि 29 अप्रैल को राजू राठौर कुशवाह नगर इन्दौर की पुत्री से उमराव पंवार के बेटे का विवाह तय किया गया था, लेकिन दोनों ही नाबालिग थे, जिस पर दूल्हे ने एतराज लेते हुए विभाग से अपील की थी कि वे बुकिंग के रुपए वापस कराए, जिसके बाद पालीवाल धर्मशाला कुलकर्णी भट्टा, रघुवंशी धर्मशाला, मरीमाता चौराहा, छोटे चाचा घोड़ागाडी वाले रानीपुरा के साथ सांई डीजे साउंड सिस्टम गणराज नगर के खिलाफ नोटिस जारी किया गया, लेकिन आज तक परिवार राशि प्राप्त करने के लिए दर-दर भटक रहा है।
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