
नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central Government) ने ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) को नियंत्रित करने के लिए एक नया सख्त कानून (New strict law) लाया है। इसके तहत अब कोई भी फिल्म स्टार, खिलाड़ी, मशहूर हस्ती या सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर सट्टेबाजी वाले ऐप्स का विज्ञापन नहीं कर पाएंगे। सरकार का लक्ष्य ऑनलाइन गेमिंग को सुरक्षित और जिम्मेदार बनाना है। इस कानून से गेमिंग कंपनियों पर लगाम लगेगी और न केवल ऐप बनाने वाली कंपनियां, बल्कि उनका प्रचार करने वाले सेलिब्रिटी भी अब कानून की जद में आएंगे। राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होगी कि वे जमीन पर अवैध सट्टेबाजी और जुए के खिलाफ कार्रवाई करें।
सेलिब्रिटी प्रचार पर नजर
पिछले कुछ सालों में गेमिंग ऐप कंपनियों ने सैकड़ों करोड़ रुपये कमाए हैं। इनकी बढ़ती कमाई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कई बड़े फिल्मी सितारे और इन्फ्लुएंसर इन ऐप्स का विज्ञापन करते देखे गए हैं, जिससे युवा इनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। अब सरकार और जांच एजेंसियां इन सेलिब्रिटीज पर नजर रख रही हैं। हाल ही में एक क्रिकेटर को भी इसी संबंध में जांच के लिए बुलाया गया था।
मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर
सरकार ने इस कानून में उन लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले बुरे असर को भी ध्यान में रखा है जो पैसे लगाकर ऑनलाइन गेम खेलते हैं। सरकार का मानना है कि पैसे वाली ऑनलाइन गेमिंग धन शोधन, ठगी और साइबर अपराध को बढ़ावा देती है।
कई राज्य चाहते हैं पूरी तरह प्रतिबंध
देश में ऑनलाइन जुए और पैसे लगाकर खेले जाने वाले गेम्स के बीच अभी स्पष्ट कानूनी फर्क नहीं है। ज्यादातर गेमिंग कंपनियां अपने ऐप्स को ‘स्किल गेम’ यानी ‘कौशल वाले खेल’ बताकर प्रतिबंध से बचने की कोशिश करती हैं। तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक जैसे राज्य इन पर पूरी तरह रोक लगाना चाहते हैं। तमिलनाडु सरकार का कहना है कि इन खेलों की वजह से नौजवान और वयस्क अपनी पूरी कमाई और बचत गंवा रहे हैं।
कंपनियों की याचिकाएं खारिज
कई गेमिंग कंपनियों ने अपने ऊपर लगे प्रतिबंध को कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन मद्रास हाई कोर्ट ने उनकी याचिकाएं खारिज कर दीं।
ऐप्स की सब्सक्रिप्शन चालबाजी
सरकार को गेमिंग ऐप्स द्वारा ग्राहकों को ठगने की कई शिकायतें मिल रही हैं। ये ऐप्स पहले एक गेम खेलने के लिए सिर्फ 49 रुपये का ‘सब्सक्रिप्शन’ (सदस्यता शुल्क) लेते हैं, लेकिन जब उसके बाद यूजर अगला गेम शुरू करता है तो उसके बैंक खाते से पैसे काट लिए जाते हैं, बिना बताए कि यह शुल्क हर गेम के लिए अलग है। यानी, पहले लोगों को गेम की लत लगाई जाती है और फिर उनके खाते से पैसे गैर-कानूनी तरीके से काटे जाते हैं।
कंपनियों पर धोखाधड़ी के आरोप
पिछले साल, ईडी ने एक गेमिंग कंपनी पर छापा मारकर 68 करोड़ रुपये जब्त किए थे। कंपनी पर बच्चों समेत कई लोगों से ठगी करने और पैसे सिंगापुर भेजने के आरोप लगे। जांच में पता चला कि कंपनी ने 2,850 करोड़ रुपये जुटाए और इसमें से 2,265 करोड़ रुपये विदेश भेज दिए। कई गेमिंग कंपनियों के भुगतान तंत्र में जानबूझकर गड़बड़ी पाई गई है।
युवा और छात्र हो रहे हैं बर्बाद
देशभर के युवा और छात्र इन गेमिंग ऐप्स के चक्कर में हजारों-लाखों रुपये गंवा रहे हैं। कुछ ऐप्स इनाम का लालच देकर उन्हें फंसाते हैं। छत्तीसगढ़ के एक मंत्री ने केंद्र सरकार को शिकायत करते हुए बताया था कि कैसे उनके परिवार के एक बच्चे ने गेमिंग ऐप्स में बहुत पैसा गंवा दिया।
अब तक क्या कार्रवाई हुई?
– सरकार फरवरी 2025 तक 1400 से ज्यादा सट्टेबाजी वाले ऐप्स और वेबसाइटों को बंद कर चुकी है।
– बच्चों और युवाओं में गेमिंग की लत रोकने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने माता-पिता और शिक्षकों को चेतावनी जारी की है।
– अब गेमिंग विज्ञापनों में लत और वित्तीय नुकसान की चेतावनी देना अनिवार्य कर दिया गया है।
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