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Pok में सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन, बिगड़े हालात, इंटरनेट सेवाएं बंद

October 01, 2025

मुजफ्फराबाद। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) (Pakistan-occupied Kashmir – PoK) में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जोरों पर है। प्रदर्शन के कारण पूरे क्षेत्र में इंटरनेट सेवाएं बंद (Internet services closed) कर दी गई हैं। वहीं, प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं और समूचे इलाके को अवरुद्ध कर दिया है। विरोध और पूर्ण हड़ताल लगातार दूसरे दिन भी जारी है। मुजफ्फराबाद (Muzaffarabad) की ओर बढ़ रहे प्रदर्शनकारियों को कड़ी पाबंदियों का सामना करना पड़ा, जहां अधिकारियों ने मुख्य सड़कों को ब्लॉक कर दिया और संचार माध्यमों को पूरी तरह ठप कर दिया। मीरपुर के दुदयाल क्षेत्र में एक्शन कमेटी ने घोषणा की है कि मांगें पूरी न होने तक किसी भी प्रदर्शनकारी का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। बता दें कि सोमवार को प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी हुई थी, जिसमें तीन लोगों की जान चली गई थी।


दूसरी तरफ, सुरक्षा बल मार्च को नाकाम बनाने के लिए पुलों को खाली कराने में लगे दिखे। मीरपुर, कोटली और मुजफ्फराबाद समेत पूरे क्षेत्र में संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (जेएएसी) ने बड़ी सभाओं और धरनों के माध्यम से लोगों को एकजुट किया। यह आंदोलन अब सरकार की उदासीनता के प्रति उफनते जनाक्रोश का प्रतीक बन चुका है। मुजफ्फराबाद में स्थिति तब और खराब हो गई जब पुलिस ने कथित तौर पर एक जुलूस पर फायरिंग कर दी, जिसमें तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और 22 से अधिक घायल हुए। इस घटना ने आंदोलन को नई ताकत दी है और लोग अपने संघर्ष को और तेज कर रहे हैं।

कोटली में जुलूस शहर के मुख्य चौराहे पर एकत्र हुए, जहां प्रदर्शकारियों ने राजनीतिक नेताओं द्वारा आंदोलन को कमजोर करने के प्रयासों की तीखी निंदा की। एक ने बताया कि स्थानीय सांसद ने बार-बार आंदोलन को भटकाने की कोशिश की, लेकिन असफल रहा, जबकि अन्य ने कहा कि जनता की दृढ़ इच्छाशक्ति के सामने धमकियों की साजिशें नाकाम साबित हुईं। वहीं, मीरपुर में प्रदर्शनकारियों ने बाइक रैलियां निकालीं, नारे लगाए और जेएएसी के घोषणापत्र पर तत्काल कार्रवाई की मांग की।

इसके अलावा, इस आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी मिल रहा है। यूनाइटेड किंगडम में कश्मीरी प्रवासी समुदाय एकजुट होकर प्रदर्शन कर रहा है। जम्मू-कश्मीर नेशनल फ्रीडम एलायंस (जेकेएनएफए) के बैनर तले ब्रैडफोर्ड, बर्मिंघम और लंदन जैसे शहरों में सभाएं आयोजित की गईं। मानवाधिकार संगठनों के सदस्य, राजनेता और प्रवासी नेता ने पीओके में पाकिस्तानी प्रशासन द्वारा किए जा रहे सुनियोजित अत्याचारों की आलोचना की और जन आंदोलन को सपोर्ट करने की बात कही।

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