
नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) की सफलता पाकिस्तान के लिए ही नहीं उसके सबसे खास सहयोगी चीन के लिए भी बहुत चिंता का विषय है. चीन दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति बनने की राह पर है. भारत भी उसके पीछे ही पीछे दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बन रहा है. अभी इसी सप्ताह एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि 2025 में की चौथी बड़ी आर्थिक शक्ति भारत बन चुका है.
यही नहीं 2027-28 में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की ओर अग्रसर है. जाहिर है कि पाकिस्तान में भारत को मिली सफलता से चीन के लिए रणनीतिक, तकनीकी, और भू-राजनीतिक चिंताएं बढ़ने वाली हैं. क्योंकि भारत बहुत तेजी से उसका प्रतिद्वंद्वी बनने लगा है. जबकि भारत और चीन के बीच दूरियां कितनी बढ़ चुकी हैं ये जगजाहिर है. अगर चीन के सामने इस समय अमेरिका का संकट नहीं रहता तो यह भी हो सकता था कि चीन अपने दोस्त पाकिस्तान के लिए खुलकर भारत के खिलाफ खड़ा हो जाता.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में चीन निर्मित वायु रक्षा प्रणालियां पूरी तरह से फेल हो गईं हैं. बताया जा रहा है कि LY-80 LOMADS और HQ-9 जैसी चीन निर्मित रक्षात्मक मिसाइलें पाकिस्तान की सुरक्षा में तैनात थीं. पर ये भारतीय मिसाइलों और विमानों को ट्रैक करने या रोकने में पूरी तरह विफल रहीं. भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस, SCALP, और स्पाइस-2000 जैसी उन्नत मिसाइलों का उपयोग कर नौ आतंकी ठिकानों को 25 मिनट में नष्ट कर दिया. वो भी बिना किसी नुकसान के.
चिंता की बात ये है कि यह विफलता चीन की रक्षा प्रौद्योगिकी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ी करेगी. पाकिस्तान ने 2014 में LY-80 और 2021 में HQ-9 सिस्टम खरीदे थे, जिन्हें 100-200 किमी की रेंज और एक साथ 100 लक्ष्यों को ट्रैक करने की क्षमता वाला बताया गया था. इन सिस्टमों की विफलता से वैश्विक हथियार बाजार में चीन की साख को बहुत ज्यादा नुकसान होने वाला है.
सोशल मीडिया पर लोग चीनी सामानों की खिल्ली उड़ा रहे हैं. भारत की स्वदेशी मिसाइल प्रणालियों ब्रह्मोस और निर्भय की प्रभावशीलता दक्षिण एशिया में उसकी साख को चीन के मुकाबले बढ़ाने का काम करने वाला है. चीन और पाकिस्तान का सदाबहार गठजोड़ चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) और सैन्य सहयोग पर आधारित है. ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने पाकिस्तान और चीन की दोस्ती की विश्वसनीयता पर सवाल उठा दिए हैं.
इस ऑपरेशन ने CPEC के लिए PoK में मौजूद चीनी हितों को अप्रत्यक्ष रूप से जोखिम में डाल दिया है. भारत ने स्पष्ट किया कि उसने केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, लेकिन PoK में सैन्य कार्रवाई ने चीन को क्षेत्रीय स्थिरता के बारे में चिंतित किया. चीन ने अपने दोस्त के लिए भारत के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तेमाल तक नहीं किया. कुछ देशों जैसे कतर और तुर्की ने इस ऑपरेशन के कारण क्षेत्रीय तनाव बढ़ने की चिंता जताई है. पर चीन ने भी इस ऑपरेशन पर चिंता व्यक्त की, लेकिन भारत की निंदा से बच गया.
पाकिस्तान की आर्थिक अस्थिरता का असर भी चीन पर पड़ने वाला है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और खराब हुई, जिसका असर CPEC पर पड़ सकता है. पाकिस्तान ने हाल ही में चीन से 10 अरब डॉलर के अतिरिक्त स्वैप लाइन की मांग की थी, जिस पर चीन ने चुप्पी साध रखी है. उम्मीद है कि चीन इससे मुकर न जाए. दरअसल पाकिस्तान का कमजोर शेयर बाजार और आर्थिक संकट CPEC परियोजनाओं को जोखिम में डाल सकता है, जो चीन के लिए एक बड़ा निवेश है. पाकिस्तान की खराब आर्थिक स्थिति के चलते चीन कभी अपनी स्थिति नहीं खराब करना चाहेगा. अमेरिकी टैरिफ की मार से पहले ही चीन परेशान होगा , ऐसी हालत में किसी भी सूरत में वो पाकिस्तान की मदद करना उसके वश की बात नहीं होगी. जिससे चीन को अपनी निवेश रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है.
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत को एक दृढ़ और आतंकवाद-विरोधी राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत किया, जिसे इजरायल जैसे देशों ने समर्थन दिया है. संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और अमेरिका ने भारत की निंदा करने के बजाय संयम की अपील की, जो भारत की कूटनीतिक जीत थी. खुद चीन चाहकर भी भारत की कड़े शब्दों में निंदा नहीं कर सका है. यह केवल भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को दिखाता है. जाहिर है कि चीन इसे दक्षिण एशिया अपने प्रभुत्व के लिए चुनौती की तरह लेगा.
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