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हाइवे पर अचानक ब्रेक लगाना…सड़क हादसों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

July 31, 2025

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर कोई कार चालक बिना किसी चेतावनी के हाईवे पर अचानक ब्रेक लगाता है, तो उसे सड़क दुर्घटना की स्थिति में लापरवाही माना जा सकता है। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने मंगलवार को कहा कि किसी चालक द्वारा राजमार्ग के बीच में अचानक वाहन रोकना, चाहे वह व्यक्तिगत आपातस्थिति के कारण ही क्यों न हुआ हो, उचित नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि यह सड़क पर चल रहे अन्य लोगों के लिए खतरा हो सकता है।

पीठ के लिए फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा कि राजमार्ग पर वाहनों की तेज गति अपेक्षित है और यदि कोई चालक अपना वाहन रोकना चाहता है, तो उसकी जिम्मेदारी है कि वह सड़क पर पीछे चल रहे अन्य वाहनों को चेतावनी या संकेत दे। यह फैसला इंजीनियरिंग के छात्र एस.मोहम्मद हकीम की याचिका पर आया, जिनका बायां पैर सात जनवरी, 2017 को कोयंबटूर में एक सड़क दुर्घटना के बाद काटना पड़ा था। यह घटना तब हुई जब हकीम की मोटरसाइकिल एक कार के पिछले हिस्से से टकरा गई जो अचानक रुक गई थी। परिणामस्वरूप, हकीम सड़क पर गिर गये और पीछे से आ रही एक बस ने उन्हें टक्कर मार दी।


कार चालक ने दावा किया था कि उसने अचानक ब्रेक इसलिए लगाए क्योंकि उसकी गर्भवती पत्नी को उल्टी जैसा महसूस हो रहा था। हालांकि, अदालत ने इस स्पष्टीकरण को यह कहते हुए खारिज कर दिया, ‘‘कार चालक द्वारा राजमार्ग के बीच में अचानक कार रोकने के लिए दिया गया स्पष्टीकरण किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। अदालत ने अपीलकर्ता को केवल 20 प्रतिशत की सीमा तक ही लापरवाही के लिए उत्तरदायी ठहराया, जबकि कार चालक और बस चालक को क्रमशः 50 प्रतिशत और 30 प्रतिशत की सीमा तक लापरवाही के लिए उत्तरदायी ठहराया।

अदालत ने मुआवजे की कुल राशि 1.14 करोड़ रुपये आंकी, लेकिन अपीलकर्ता की सहभागी लापरवाही के कारण इसे 20 प्रतिशत कम कर दिया जिसका भुगतान दोनों वाहनों की बीमा कंपनियों द्वारा चार सप्ताह के भीतर उसे किया जाना है। इस मामले में, मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने कार चालक को दोषमुक्त करार दिया और अपीलकर्ता तथा बस चालक की लापरवाही को 20:80 के अनुपात में निर्धारित किया। इसने कार से पर्याप्त दूरी न बनाए रखने के लिए अपीलकर्ता को 20 प्रतिशत की लापरवाही का जिम्मेदार ठहराया। हालांकि, मद्रास उच्च न्यायालय ने कार चालक और बस चालक को क्रमशः 40 और 30 प्रतिशत की सीमा तक और अपीलकर्ता को 30 प्रतिशत सहभागी लापरवाही के लिए उत्तरदायी ठहराया था।

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