
नई दिल्ली । बांग्लादेश(Bangladesh) में बीते साल शेख हसीना(Sheikh Hasina) को सत्ता से बेदखल(removed from power) किए जाने के बाद से ही कट्टरपंथी ताकतें हावी (Radical forces are dominating.)हैं। हिंदुओं, ईसाइयों पर हमले के बाद मुसलमानों का ही एक तबका इन कट्टरपंथियों के निशाने पर है। एकदम पाकिस्तान की राह पर ही चलते हुए बांग्लादेश के कट्टरपंथियों ने देश भर में 100 जगहों पर सूफी संतों की मजारों पर हमले किए हैं। इससे पहले हिंदू मंदिरों, ईसाई समुदाय की चर्चों और अहमदिया समुदाय की मस्जिदों को टारगेट किया जाता रहा है। बांग्ला संस्कृति में सूफी संतों की मजारों और दरगाहों का एक लंबा इतिहास रहा है। लेकिन वहाबी इस्लाम में किसी मजार या दरगाह आदि को स्वीकार नहीं किया जाता।
जानकारी के मुताबिक बांग्लादेश में शेख हसीना की सत्ता से विदाई होने के बाद से अब तक 100 सूफी मजारों पर हमले हो चुके हैं। अब तक ऐसे मामलों में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने कोई ऐक्शन नहीं लिया है। माना जाता है कि सूफी संतों की मजारें और दरगाहें इस्लाम के उदार स्वरूप का हिस्सा रही हैं, लेकिन वहाबी कट्टरपंथी इनके खिलाफ रहे हैं। यही कारण है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक में इन पर निशाने साधे जा रहे हैं। इन हमलों में मजारों को तोड़ना, लूटना और वहां मौजूद लोगों की पिटाई तक शामिल है।
माना जा रहा है कि बांग्ला समुदाय में सेकुलरिज्म के मूल्यों को कमजोर करने और हिंदू समुदाय के साथ सद्भाव को खत्म करने के लिए भी इस तरह के हमले हो रहे हैं। इस्लाम की शुद्धता के नाम पर इस तरह के हमले दूसरे धर्मों के लोगों पर हो रहे हैं। दरअसल भारतीय उपमहाद्वीप में सूफी परंपरा का विकास कई सदियों पुराना है और इनकी मान्यताएं हिंदुओं से भी कुछ हद तक मिलती जुलती हैं। इसके अलावा कट्टरपंथियों का कहना रहा है कि सूफी मजारें इस्लाम के उस सिद्धांत के खिलाफ हैं, जिसके तहत मूर्ति पूजा या फिर किसी ढांचे को मत्था टेकना वर्जित है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved