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आवारा कुत्तों को सड़क पर खाना खिलाने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, कहा- इन्‍हें घर पर क्यों नहीं खिलाते

July 16, 2025

नई दिल्‍ली । सड़क पर आवारा कुत्तों (Stray Dogs) को खाना दिए जाने पर परेशान करने की शिकायत लेकर अदालत पहुंचे याचिकाकर्ताओं (Petitioners) को सुप्रीम कोर्ट ने सख्त हिदायत दी है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को कहा है कि गलियों में रहने वाले कुत्तों का संरक्षण जरूरी है, लेकिन साथ ही आम आदमी की चिंताओं को भी ध्यान में रखना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कहा है कि आवारा कुत्तों को गलियों में खाना देने से लोगों को कई तरह की परेशानियां होती हैं।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, “क्या हमें इन बड़े दिल वाले लोगों के लिए हर गली, हर सड़क खुली छोड़ देनी चाहिए? इन जानवरों के लिए तो पूरी जगह है, लेकिन इंसानों के लिए कोई जगह नहीं है। आप उन्हें अपने घर में खाना क्यों नहीं देते? आपको कोई नहीं रोक रहा है।”

याचिका में क्या?
दरअसल यह याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मार्च 2025 के आदेश से संबंधित है। याचिका दायर करने वालों की ओर से वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को परेशान किया जा रहा है और वह पशु जन्म नियंत्रण नियमों के मुताबिक सड़कों पर रहने वाले कुत्तों को खाना नहीं दे पा रही है। पशु जन्म नियंत्रण नियमावली, 2023 का नियम 20 सड़कों पर रहने वाले पशुओं के भोजन से संबंधित है और यह परिसर या उस क्षेत्र में रहने वाले पशुओं के भोजन के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का दायित्व स्थानीय ‘रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन’ या ‘अपार्टमेंट ऑनर एसोसिएशन’ या स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि पर डालता है।


शीर्ष अदालत ने दिए निर्देश
इस पर शीर्ष अदालत ने कहा, “हम आपको अपने घर में ही एक आश्रय स्थल खोलने का सुझाव देते हैं। गली-मोहल्ले के प्रत्येक कुत्ते को अपने घर में ही खाना दें।” याचिकाकर्ता के वकील ने नियमों के अनुपालन का दावा किया और कहा कि नगर प्राधिकार ग्रेटर नोएडा में तो ऐसे स्थान बना रहा है, लेकिन नोएडा में नहीं। उन्होंने कहा कि ऐसे स्थानों पर भोजन केंद्र बनाए जा सकते हैं जहां लोग अक्सर नहीं आते।

आम आदमी की चिंता को भी ध्यान में रखना होगा- सुप्रीम कोर्ट
इसके बाद पीठ ने इस याचिका को इसी तरह के एक अन्य मामले पर लंबित याचिका के साथ संलग्न कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा, “कानून के प्रावधानों के अनुसार गलियों में रहने वाले कुत्तों का संरक्षण आवश्यक है, लेकिन साथ ही अधिकारियों को आम आदमी की चिंता को भी ध्यान में रखना होगा, ताकि इन आवारा कुत्तों के हमलों से सड़कों पर उनकी आवाजाही बाधित न हो।” कोर्ट ने कहा कि कहा है कि ऐसे निर्देश इसलिए जरूरी हैं क्योंकि हाल में कुत्तों द्वारा लोगों पर हमले की कई घटनाएं हुई हैं, जिसके परिणामस्वरूप कई लोगों की जान गई है और पैदल चलने वालों को भारी असुविधा हुई है।

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