
नई दिल्ली। एक पिता (father) से बेटी (daughter) को गुजारा भत्ता (alimony) दिए जाने के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि बेटियां किसी पर बोझ नहीं हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) और जस्टिस एएस बोपन्ना (Justice AS Bopanna) की पीठ ने शुक्रवार को यह टिप्पणी तब की जब पिता की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह महिला एक बोझ है।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने संविधान के अनुच्छेद 14 का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की। यह अनुच्छेद कानून के सामने सबके एक समान होने की गारंटी देता है। मामले में शुक्रवार को पीठ को बताया गया कि संबंधित बेटी वकील है और उसने न्यायिक सेवा की प्राथमिक परीक्षा पास की है। इसपर कोर्ट ने कहा कि महिला को अपनी परीक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि वह अपने पिता पर निर्भर न रहे। पीठ ने पिता को आट अगस्त तक बेटी को 50 हजार रुपये भुगतान करने का आदेश भी दिया।
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