
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने आधार कार्ड(Aadhar card) को लेकर अपने 8 सितंबर के आदेश में बदलाव(Change of order) करने से इनकार(denied) कर दिया। अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वो एक नोटिस जारी करे, जिसमें कहा जाए कि विशेष गहन संशोधन (SIR) के तहत वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए आधार मान्य होगा। जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमलाया बागची की बेंच ने कहा कि यह आदेश सिर्फ अंतरिम है और आधार की वैधता का मसला अभी SIR से जुड़े मामले में तय होना बाकी है। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि राशन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे दूसरे दस्तावेज भी उतने ही जाली हो सकते हैं, जितना आधार। ऐसे में सिर्फ आधार को बाहर नहीं किया जा सकता।
एससी ने यह टिप्पणी तब की, जब बीजेपी नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने 8 सितंबर के आदेश में बदलाव की मांग की था। उनका कहना था कि आधार को नागरिकता का सबूत नहीं माना जा सकता। इसे चुनाव आयोग की ओर से स्वीकार किए जाने वाले अन्य दस्तावेजों के बराबर नहीं रख सकते। इस पर बेंच ने कहा, ‘ड्राइविंग लाइसेंस जाली हो सकता है, राशन कार्ड जाली हो सकता है। कई दस्तावेज जाली हो सकते हैं। आधार का इस्तेमाल कानून की इजाजत के दायरे में होगा।’ उपाध्याय का कहना था कि आधार विदेशियों को भी जारी होता है। अगर 8 सितंबर के आदेश में बदलाव नहीं हुआ तो ये विनाशकारी होगा। इस पर कोर्ट ने जवाब दिया कि विनाश हो या न हो, ये चुनाव आयोग देखेगा।
SIR को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने फैसले में आगे कहा, ‘हम इस मसले को खुला रख रहे हैं। न तो हम इसे खारिज कर रहे हैं और न ही स्वीकार।’ अदालत बिहार के विशेष गहन संशोधन (SIR) को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। इससे पहले कोर्ट को बताया गया था कि 1 अगस्त को प्रकाशित मसौदा वोटर लिस्ट से 65 लाख नाम हटाए गए थे। 14 अगस्त को कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वो SIR के दौरान हटाए जाने वाले इन 65 लाख वोटरों की लिस्ट अपलोड करे। 22 अगस्त को कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों का नाम मसौदा वोटर लिस्ट से हटाया गया है, वो अपने आधार कार्ड को पहचान के सबूत के तौर पर इस्तेमाल करके वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वा सकते हैं। इससे पहले चुनाव आयोग ने कहा था कि वो इसके लिए सिर्फ ग्यारह अन्य पहचान दस्तावेजों को ही स्वीकार करेगा।
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