
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मार्केट रेगूलेटर सेबी को अडानी ग्रुप-हिंडेनबर्ग रिपोर्ट मामले की जांच पर अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए 14 अगस्त तक का समय दिया. टॉप कोर्ट ने सोमवार को हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में जांच पूरी करने के लिए छह महीने के विस्तार की मांग करने वाली सेबी की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा कि वह जांच पूरी करने के लिएअनिश्चितकाल तक का समय नहीं दे सकते. कोर्ट पहले ही पांच महीने का समय दे दिया है.
सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सेबी ने जिन 51 कंपनियों की जांच की है वो ग्लोबल डिपॉजिटरी रसीद जारी करने से संबंधित है. सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कि उन 51 कंपनियों में अडानी की किसी भी कंपनी का नाम शामिल नहीं था. एजेंसी के अनुसार जांच पूरी होने के बाद, इस मामले में उचित इंफोर्समेंट कार्रवाई की गई. इसलिए, यह आरोप कि सेबी 2016 से अडानी की जांच कर रहा है, फैक्चुअली गलत है.
वित्त मंत्रालय ने दिया जवाब
इसके अलावा, वित्त मंत्रालय ने विपक्ष के ट्वीट के जवाब में कहा कि सरकार 19 जुलाई, 2021 को लोकसभा में अपने जवाब पर कायम है. वित्त मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा कि सरकार 19 जुलाई 2021 को प्रश्न संख्या 72 पर लोकसभा में अपने जवाब पर कायम है, जो सभी संबंधित एजेंसियों से मिले इनपुट पर आधारित था. कांग्रेस के जयराम रमेश ने आरोप लगाया था कि सेबी की ओर से निष्क्रियता थी या सरकार ने संसद को गुमराह किया. सरकार ने अपने जवाब में कहा था कि रेगूलेटर के दिशा-निर्देशों के अनुपालन को लेकर सेबी अडानी ग्रुप की कुछ कंपनियों की जांच कर रहा है.
विदेशी एजेंसियों से भी संपर्क
सेबी ने सर्वोच्च न्यायालय के सामने कहा कि मिनिमम पब्लिक शेयरहॉल्डिंग मानदंडों की जांच को लेकर सेबी पहले ही अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोगों के संगठन आईओएससीओ के साथ एमओयू के तहत 11 विदेशी नियामकों से संपर्क कर चुका है. विदेशी नियामकों के लिए पहला अनुरोध 6 अक्टूबर, 2020 को किया गया था, सेबी ने अदालत को अवगत कराया. 2 मार्च को, शीर्ष अदालत ने सेबी को निर्देश दिया कि वह अडानी ग्रुप द्वारा किसी भी प्रतिभूति कानून के उल्लंघन की जांच करे. हिंडनबर्ग रिपोर्ट की वजह से अडानी ग्रुप के मार्केट कैप को 140 बिलियन अमरीकी डॉलर से ज्यादा का नुकसान हो चुका है.
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