
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने शुक्रवार को दिल्ली में मजनू का टीला के पास में रहने वाले पाकिस्तान(Pakistan) से आए हिंदू शरणार्थियों(Hindu Refugees) को बड़ी राहत(Big relief) दी। शीर्ष अदालत ने इन शरणार्थियों को इस इलाके से हटाने पर रोक लगाने के साथ ही केंद्र सरकार और डीडीए को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है।
जस्टिस एमएम सुंदरेश और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट के 30 मई के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करते हुए यह अंतरिम आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में हिंदू शरणार्थियों को राहत देने से इनकार करते हुए, टेंट लगाकर इस इलाके में रह रहे लोगों को हटाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए शरणार्थियों को हटाने पर पर रोक लगा दी। साथ ही केंद्र और डीडीए से जवाब मांगा है। शरणार्थियों की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन ने बेंच के समक्ष कहा कि पाकिस्तान से आए हुए हिंदू शरणार्थी टेंट और टीनशेड में रह रहे हैं और उम्मीद है कि एक दिन सभी को भारत की नागरिकता मिल जाएगी। उन्होंने इसके साथ ही बेंच से हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने और डीडीए को इन शरणार्थियों को मजनू के टीला इलाके से हटाने पर रोक लगाने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से सैकड़ों हिंदू शरणार्थियों ने राहत की सांस ली है।
शरणार्थी शिविरों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि यमुना खादर में पर्यावरणीय प्रतिबंधों का पालन किया जाना चाहिए। इसके बाद डीडीए ने जुलाई में दोबारा से नोटिस जारी किया था, जिसमें बताया गया था कि शिविरों पर कभी भी बुलडोजर चल सकता है और हिंदू शरणार्थियों को यहां से निकाला जा सकता है।
आदेश के बाद बस्ती के लोगों में खुशी की लहर, मिठाई बांटी
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मजनू का टीला से बस्ती को हटाने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने पर पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों ने खुशी जताई है। बस्ती के लोग सुबह से ही टीवी और अन्य समाचार माध्यमों पर नजरें टिकाए हुए थे। उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला भी उनकी बेहतरी के लिए होगा। इस दौरान बस्ती में मिठाई भी बांटी गई। जब सुप्रीम कोर्ट गए हुए बस्ती के लोग लौटे तो उनका भव्य स्वागत भी किया गया।
शरणार्थी बस्ती के प्रधान सुखनंदन ने कहा कि वे लोग बड़ी मुश्किल से पाकिस्तान से बचकर दिल्ली पहुंचे हैं। फिर तमाम मुश्किलों को सहते हुए पुराने दर्द को भुलाकर अपनी नई जिंदगी बसाने की कोशिश कर रहे थे। इस बीच हाईकोर्ट के फैसले से धक्का लगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हमारे कष्ट को समझा और स्टे दे दिया है।
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