
भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजनीति में बीना विधायक निर्मला सप्रे (MLA Nirmala Sapre) का नाम लगातार चर्चा में बना हुआ है। कांग्रेस के टिकट पर 2023 में पहली बार विधानसभा पहुंचीं सप्रे अब भाजपा के मंचों पर दिखाई देती रही, लेकिन औपचारिक रूप से उन्होंने भाजपा की सदस्यता अब तक नहीं ली। उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने को लेकर कांग्रेस ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिससे यह मामला और उलझ गया है। अब भाजपा भी उनसे किनारा करते दिख रही हैं।
इस पूरे विवाद पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और विधायक हेमंत खंडेलवाल ने निर्मला सप्रे किस दल में है सवाल के जवाब में कहा कि निर्मला सप्रे भाजपा के 164 विधायकों की सूची में शामिल नहीं हैं। वे किस दल में हैं, यह सवाल उन्हीं से पूछा जाना चाहिए। खंडेलवाल ने आगे कहा कि भाजपा में संगठनात्मक अनुशासन सर्वोपरि है। पार्टी की सदस्यता लिए बिना कोई व्यक्ति आधिकारिक रूप से भाजपा से नहीं जुड़ सकता।
निर्मला सप्रे ने 2023 में सागर जिले की बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान सप्रे सीएम डॉ. मोहन यादव और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ राहतगढ़ में मंच पर नजर आईं। वहां मंच से यह घोषणा की गई कि उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली है, और उन्हें भाजपा का गमछा पहनाया गया। सप्रे ने भी कहा कि वे “बीना के विकास के लिए भाजपा के साथ आई हैं। हालांकि, इस सार्वजनिक घोषणा के बावजूद उन्होंने भाजपा की औपचारिक सदस्यता नहीं ली। बावजूद इसके, वे भाजपा उम्मीदवार लता वानखेड़े के लिए प्रचार करती रहीं और कांग्रेस से पूरी तरह दूरी बना ली।
विधानसभा में मानसून सत्र के दौरान 7 जुलाई 2024 को नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने विधानसभा अध्यक्ष को आवेदन देकर सप्रे की सदस्यता समाप्त करने की मांग की। करीब ढाई महीने बाद जवाब आया कि याचिका के दस्तावेज गुम हो गए हैं। इसके बाद सिंघार ने फिर से आवेदन और दस्तावेज स्पीकर कार्यालय को भेजे। जब 90 दिन तक कोई फैसला नहीं हुआ, तो 28 नवंबर 2024 को मामला इंदौर हाईकोर्ट पहुंचा। अब हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष, राज्य सरकार और निर्मला सप्रे तीनों से जवाब मांगा है।
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