
नई दिल्ली. सीरिया (Syria) में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं. सुरक्षा बलों और अपदस्थ राष्ट्रपति (Deposed president) बशर अल असद (Bashar Al Assad) के समर्थकों के बीच दो दिनों से चल रही खूनी हिंसा में एक हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई है. इसे पिछले 14 वर्षों में सीरिया के भीतर सबसे बड़ी हिंसा बताया जा रहा है. ब्रिटेन स्थित सीरियाई मानवाधिकार पर्यवेक्षक (Syrian Observatory for Human Rights) के अनुसार, मृतकों में 745 ऐसे नागरिक शामिल हैं जिन्हें बेहद करीब से गोली मारा गया है. इसके अलावा, 125 सरकारी सुरक्षा बलों के सदस्य और 148 असद से जुड़े सशस्त्र समूहों के उग्रवादी भी मारे गए. रिपोर्ट के अनुसार, लताकिया शहर के आसपास बड़े क्षेत्रों में बिजली और पीने का पानी बंद कर दिया गया है.
सीरिया की नई सरकार का क्या कहना है
सरकार ने कहा कि वे असद के समर्थकों द्वारा किए गए हमलों के खिलाफ एक्शन ले रहे हैं. उन्होंने बड़े पैमाने पर हुई इस हिंसा के लिए अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा की गई कार्रवाइयों को जिम्मेदार ठहराया. सीरिया में हालिया झड़पें तब शुरू हुईं, जब सुरक्षा बलों ने गुरुवार को तटीय शहर जबलेह के पास एक वांछित व्यक्ति को हिरासत में लेने की कोशिश की. इस दौरान असद के वफादारों ने उन पर घात लगाकर हमला कर दिया.
सीरिया की नई सरकार के प्रति वफादार सुन्नी मुस्लिम बंदूकधारियों ने शुक्रवार को असद के अल्पसंख्यक अलावी समुदाय के लोगों की हत्याएं शुरू की थीं, जिसके बाद से दोनों के बीच झड़पें जारी हैं. लेकिन यह हयात तहरीर अल-शाम के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि इसी धड़े के नेतृत्व में विद्रोही समूहों ने असद के शासन का तख्तापलट कर दिया था.
हाल ही में सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने साल 2021 की अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि सीरिया के बशर अल-असद के शासन के दौरान जेलों में 1 लाख से ज्यादा लोगों को मारा गया. इनमें 30 हजार से ज्यादा लोग अकेले सैदनाया जेल में मारे गए. ये जेल यातनाओं, हत्या और गायब किए जाने के लिए कुख्यात रहा है. साल 2011 से सैदनाया जेल का इस्तेमाल असद के क्रूर शासन की नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए किया गया.
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