गौरवशाली इतिहास को आत्मसात् करने का स्थल कौशल ‘भूख न मेटे मेड़तो, न मेटे नागौर, रजवड़ भूख अनोखड़ी, मिटे मर्या चित्तौड़’ ‘‘मेवाड़ के रणबांकुरों के लिए मातृभूमि प्राणों से भी प्यारी है। यह बात इन पंक्तियों से समझी जा सकती है। मातृभूमि के हित से परे जाकर वे कोई समझौता नहीं कर सकते। मेवाड़ी […]