जि़न्दगी है अपने क़ब्ज़े में न अपने बस में मौत, आदमी मजबूर है और किस कदर मजबूर है। उफ…ये खबर लिखते हुए जैसे कलेजा मुंह को आता है। हाथ कांपते हैं और दिल रोता है। भोपाल के मीडिया जगत के लिए कल का दिन निहायत अफसोस, मायूसी और सदमे से बावस्ता रहा। शहर के सीनियर […]