
काबुल। अफगानिस्तान (Afghanistan.) ने अपने पक्तिका, खोस्त और कुनार प्रांतों में पाकिस्तानी वायुसेना (Pakistan Air Force) द्वारा किए गए हवाई हमलों (Air strikes) की निंदा की है और इसे देश की संप्रभुता पर खुला हमला करार दिया है। तालिबान सरकार (Taliban government.) ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून और पड़ोसी देशों के बीच स्वीकृत सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लंघन बताया है। इसके साथ ही चेतावनी दी है कि वह उचित समय पर इसका मुंहतोड़ जवाब देगी। तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान इस आक्रामकता की कड़ी निंदा करता है और अपने हवाई क्षेत्र, क्षेत्र तथा नागरिकों की रक्षा को अपना वैध अधिकार मानता है। उचित समय पर आवश्यक प्रतिक्रिया दी जाएगी।
सोशल मीडिया पर क्या लिखा?
तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि पाकिस्तानी सेना द्वारा अफगानिस्तान की संप्रभुता का एक और उल्लंघन। पक्तिका, खोस्त और कुनार प्रांतों में कल रात किए गए हवाई हमले हमारे हवाई क्षेत्र और क्षेत्रीय अखंडता पर सीधा आक्रमण हैं। ये शत्रुतापूर्ण कार्रवाइयां कुछ हासिल नहीं करेंगी; ये सिर्फ पाकिस्तानी सैन्य नेतृत्व की लगातार विफलताओं और खराब खुफिया जानकारी पर आधारित अभियानों को उजागर करती हैं। हम सही समय पर इसका जवाब देंगे।
पाकिस्तानी हमले में 9 बच्चों की मौत
प्रवक्ता ने आगे बताया कि सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात करीब 12 बजे खोस्त प्रांत के गोरबुज़ जिले के मुगलखेल इलाके में पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों ने स्थानीय नागरिक वालियत खान (पुत्र काजी मीर) के घर पर बमबारी की। इस हमले में 9 मासूम बच्चे (पांच लड़के, चार लड़कियां) मारे गए। बाद में एक महिला की भी मौत की खबर आई, जिसका घर पूरी तरह तबाह हो गया। कुनार और पक्तिका प्रांतों में भी हमले हुए जिनमें चार अन्य नागरिक घायल हुए।
पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई की निंदा
वहीं, पूर्व अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई ने भी हमलों की कड़ी निंदा करते हुए X पर लिखा कि पाकिस्तान को चाहिए कि वह अफगानिस्तान के साथ अच्छे पड़ोसी के सिद्धांतों और अंतरराष्ट्रीय नियमों का सम्मान करते हुए संबंध बनाए। विनाशकारी और शत्रुतापूर्ण नीतियों को दोहराना बंद करे।
कूटनीतिक हस्तक्षेप का सुझाव
दूसरी ओर अफगानिस्तान में अमेरिका के पूर्व विशेष दूत जलमे खलीलजाद ने दोनों देशों से संयम बरतने और कूटनीति अपनाने की अपील की। उन्होंने बताया कि तुर्की का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल जल्द ही इस्लामाबाद और काबुल का दौरा करने वाला है, ताकि दोनों देशों के बीच समझौता कराया जा सके और क्षेत्र को एक-दूसरे के खिलाफ सुरक्षा खतरे के रूप में इस्तेमाल करने से रोका जा सके।
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