
न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान के तालिबान द्वारा नियुक्त आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी कई आर्थिक परियोजनाओं को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश कर रहा है। मुख्य रूप से वह तुर्कमेनिस्तान – अफगानिस्तान – पाकिस्तान – भारत (TAPI) गैस पाइपलाइन के अफगान खंड के निर्माण पर नियंत्रण करने की मांग कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सन् 1988 की तालिबान प्रतिबंध समिति की विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी टीम की चौदहवीं रिपोर्ट में कहा गया है कि वास्तविक राज्य तंत्र और प्रांतीय प्रशासन में पदों के वितरण को लेकर तालिबान अधिकारियों के बीच कलह चल रही है। यहां कार्यवाहक आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी और कार्यवाहक प्रथम उप प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर के बीच मसलों को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बरादर दक्षिणी प्रांतीय प्रशासन का समर्थन करता है। वह लगातार तालिबान के लिए अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने, विदेशों में अफगान संपत्ति को मुक्त करने और विदेशी सहायता का विस्तार करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने की मांग कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की माने तो सारी लड़ाई सरकार में पदों के लिए है, जिससे वित्तीय, प्राकृतिक संसाधनों के साथ ही चैनल पर भी नियंत्रण किया जा सके। रिपोर्ट के अनुसार, सिराजुद्दीन हक्कानी कथित तौर पर तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत गैस पाइपलाइन के अफगान खंड पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहा है।
बता दें, 1,814 किलोमीटर लंबी प्राकृतिक गैस पाइपलाइन तुर्कमेनिस्तान से निकलती है और भारत पहुंचने के लिए अफगानिस्तान और पाकिस्तान से होकर गुजरती है। तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत ने पाइपलाइन के विकास के लिए दिसंबर 2010 में एक अंतर सरकारी समझौते (IGA) और गैस पाइपलाइन फ्रेमवर्क समझौते (GPFA) पर हस्ताक्षर किए थे। निर्माण कार्य 2015 में शुरू हुआ, लेकिन अफगानिस्तान में अस्थिरता के कारण बहुत कम प्रगति हुई।
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