
नई दिल्ली: पड़ोसी देशों के साथ लगातार चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए भारत (India) सैन्य स्तर (Military Level) पर लगातार बदलाव करने और खुद को अपडेट करने में लगा हुआ है. साथ ही उसका फोकस स्वदेशी हथियारों (Indigenous Weapons) पर अपनी निर्भरता बनाने की है. भारत अब अपने अगली पीढ़ी के तेजस Mk-2 लड़ाकू विमान के लिए फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी Safran के साथ साझेदारी की संभावनाएं तलाशने में जुटा है. इस सहयोग का मकसद एक नया और ताकतवर इंजन तैयार करना है, जिससे भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ सके और विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम हो.
तेजस Mk-2, जिसे मीडियम वेट फाइटर (MWF) भी कहा जाता है. यह आगे चलकर भारतीय वायुसेना के पुराने हो चुके जगुआर, मिराज-2000 और मिग-29 जैसे लड़ाकू विमानों की जगह लेगा. इस फाइटर विमान को एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (Aeronautical Development Agency, ADA) और हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited, HAL) मिलकर तैयार कर रहे हैं. इस तेजस Mk-2 में आधुनिक रडार, इंफ्रारेड सिस्टम, बड़ी पेलोड क्षमता और स्वदेशी मिसाइलों जैसे अस्त्र और ब्रह्मोस-NG लगाने की सुविधा होगी.
फिलहाल, इस फाइटर जेट के लिए अमेरिका की GE कंपनी का F414 इंजन चुना गया है, जिसकी थ्रस्ट क्षमता 98 kN है. GE और HAL के बीच इस इंजन के भारत में ही तैयार किए जाने के लिए 80 फीसदी तकनीकी हस्तांतरण का समझौता हुआ था. हालांकि आपूर्ति में हो रही देरी और बढ़ती लागत को लेकर बातचीत अटक गई. इस वजह से भारत को अन्य विकल्प तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
नए विकल्प की तलाश के बीच फ्रांस की Safran कंपनी एक नए विकल्प के रूप में सामने आई है. माना जा रहा है कि Safran तेजस Mk-2 के लिए 110 kN की क्षमता वाला एक पॉवरफुल इंजन देने की पेशकश कर सकती है, जिससे एयरक्राफ्ट की रफ्तार, वजन उठाने की क्षमता और ऑपरेशन की अवधि में काफी सुधार होगा.
Safran पहले से ही HAL के साथ हेलीकॉप्टर इंजनों के लिए काम कर रही है. ऐसे में यह साझेदारी न सिर्फ तेजस Mk-2 के लिए उपयोगी साबित होगी, बल्कि भारत के भविष्य के लड़ाकू विमानों और इंजन निर्माण में भी अपनी अहम भूमिका निभा सकती है. हालांकि, भारत और फ्रेंच कंपनी Safran के बीच इस सहयोग को लेकर बातचीत शुरुआती चरण में ही है. लेकिन अगर यह साझेदारी आगे बढ़ती है, तो यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को मजबूती दे सकती है. भारत हथियारों के मामले में स्वदेशी मॉडल पर आगे बढ़ सकती है.
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