
डेस्क: तमिलनाडु की राजनीति में भूचाल मचा हुआ है. ‘थलापति’ विजय ने अपनी पहली राज्य स्तरीय राजनीतिक रैली में मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन पर सीधा निशाना साधा है. विजय ने आरोप लगाया कि वह “नीति आयोग की बैठक” के नाम पर दरअसल दिल्ली सिर्फ इसलिए पहुंचे थे ताकि प्रवर्तन निदेशालय की जांच से अपने परिवार को बचा सकें. विजय ने कहा कि यह यात्रा कोई सामान्य सरकारी मीटिंग नहीं बल्कि “राजनीतिक आत्मसमर्पण” था. DMK ने भाजपा के सामने झुककर तमिलनाडु की जनता को धोखा दिया है.
तमिलनाडु विजय पार्टी के पहले राज्य सम्मेलन में विजय ने कहा, “अगर स्टालिन जी वास्तव में नीति आयोग की मीटिंग के लिए दिल्ली गए होते तो पिछली बार उन्होंने वीडियो के ज़रिए मीटिंग में शामिल होने से इनकार क्यों किया था? कारण वही हैं, हालात वही हैं फिर इस बार क्या बदल गया?”
विजय ने आरोप लगाया कि यह बदलाव प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हालिया छापेमारी और जांच के डर से आया है. “TASMAC भ्रष्टाचार” में ED की छापेमारी के बाद DMK के करीबी लोगों की गिरफ्तारी और मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों पर कार्रवाई ने स्टालिन को बेचैन कर दिया है.
विजय ने एक फोटो का ज़िक्र किया जिसमें नीति आयोग की बैठक के दौरान भाजपा समर्थक चंद्रबाबू नायडू और एम.के. स्टालिन एक ही फ्रंट रो में खड़े दिख रहे हैं. विजय ने चुटकी लेते हुए कहा, “एक गठबंधन खुला है, दूसरा गुप्त. लेकिन दोनों की जगह एक ही लाइन में है. क्या यह सिर्फ संयोग है?”
DMK पर हमला तेज करते हुए विजय बोले, “यही पार्टी विपक्ष में रहते हुए काले गुब्बारे उड़ाकर केंद्र का विरोध करती थी. अब सत्ता में आकर उसी केंद्र के सामने नतमस्तक हो गई है. क्या यह वही डीएमके है जिसे तमिल पहचान का प्रतीक माना जाता था?”
विजय ने तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि स्टालिन दिल्ली जाकर ना तो राज्य के लिए फंड लेने गए थे ना ही जनता की कोई बात करने. वो केवल 1000 करोड़ रुपए के कथित भ्रष्टाचार को बचाने की कवायद में दिल्ली पहुंचे. यह राजनीति नहीं, पारिवारिक सुरक्षा का सौदा है.”
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved