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तमिलनाडु के इस गांव में सवर्णों ने दलितों के लिए बनाई ‘छुआछूत की दीवार’, चप्पल पहनने पर भी रोक

August 08, 2025

करूर । तमिलनाडु (Tamil Nadu) के करूर जिले (Karur district) के मुथुलादमपट्टी गांव (Muthuladampatti Village) में एक दीवार (Wall) ने दो समुदायों (two communities) के बीच गहरा विवाद (controversy) खड़ा कर दिया है। अनुसूचित जाति के तहत आने वाले अरुंथथियार समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया है कि थोट्टिया नायकर जाति के सवर्ण हिंदुओं ने एक 200 फीट लंबी और 10 फीट ऊंची दीवार बनाई है। यह दीवार दलितों की आवाजाही को रोकने के लिए बनाई गई है। उन्होंने इसे ‘छुआछूत की दीवार’ नाम दिया है। यह दीवार सरकारी पोरंबोक (सरकारी स्वामित्व वाली सार्वजनिक जमीन) पर बनाई गई है, जो करूर कलेक्टर कार्यालय से महज एक किलोमीटर दूर स्थित है। अरुंथथियार समुदाय का कहना है कि यह दीवार उन्हें गांव के अन्य हिस्सों, विशेष रूप से ऊंची जातियों के इलाकों में जाने से रोकती है।

शिकायतों के बावजूद तेजी से निर्माण
एक रिपोर्ट के मुताबिक, दलितों का कहना है कि उन्होंने जब दीवार निर्माण की जानकारी पाई तो राजस्व अधिकारियों से इसकी शिकायत की। थंथोनी गांव के ग्राम प्रशासनिक अधिकारी ने मौके का निरीक्षण कर थोट्टिया समुदाय को मौखिक रूप से कार्य रोकने को कहा, लेकिन उन्होंने इन निर्देशों की अनदेखी करते हुए दीवार का निर्माण तेजी से पूरा कर लिया।


विरोध और प्रशासन की चुप्पी
दीवार को लेकर आक्रोशित अरुंथथियार समुदाय ने सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन किया और दीवार को गिराने की मांग की। इस विरोध के चलते राजस्व और पुलिस विभाग के अधिकारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा। इसके बाद दो बार शांति बैठकें हुईं- पहली 13 जुलाई को तहसीलदार की अध्यक्षता में और दूसरी 29 जुलाई को राजस्व विभागीय अधिकारी की ओर से। हालांकि, समुदाय का कहना है कि अब तक कोई समाधान नहीं निकाला गया है।

‘यह छुआछूत की दीवार है’
दलित समुदाय से आने वाले 57 वर्षीय पी. मरुधाई ने कहा, “यह दीवार हमें हमारे ही गांव में अलग-थलग करने का प्रतीक है। यह सीधा-सीधा जातिगत भेदभाव है और हमें अपमानित करने का तरीका।” उनका आरोप है कि ऊंची जातियों के लोग उन्हें मंदिर उत्सव के दौरान सार्वजनिक ‘नाटक मंच’ के उपयोग की अनुमति नहीं देते, यहां तक कि जब वे अपने लिए अलग मंच या शौचालय बनाना चाहते हैं, तब भी उन्हें रोका जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, 50 वर्षीय एस. दुरैयासामी ने कहा, “हमें ऊंची जातियों के इलाकों में बिना चप्पल के ही जाने को मजबूर किया जाता है। अगर हम चप्पल पहनकर चले जाएं, तो वे गालियां देते हैं और चिल्लाते हैं।”

सवर्णों का इनकार, ‘बाहरी तत्वों’ पर आरोप
थोट्टिया नायकर समुदाय के 62 वर्षीय आर. कंदासामी ने आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा, “हमने दीवार इसलिए बनाई ताकि हमारे क्षेत्र में नशे में धुत बाहरी लोग परेशान न करें। यह जगह तो वर्षों से हमारे उपयोग में है।” मदुरै के सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता सी. आनंदराज ने इसे शर्मनाक करार देते हुए कहा, “कोई भी व्यक्ति सरकारी जमीन पर दीवार नहीं बना सकता, खासकर अगर वह लोगों की आवाजाही रोक रही हो। इसके लिए किसी प्रकार की अनुमति भी नहीं ली गई। इसे तत्काल गिराया जाना चाहिए।” करूर कलेक्टर एम. थंगवेल ने द हिन्दू से बातचीत में कहा, “मैं अभी यह नहीं कह सकता कि यह छुआछूत की दीवार है या नहीं। मैंने राजस्व विभागीय अधिकारी को जांच का आदेश दिया है और उनकी रिपोर्ट का इंतजार है। रिपोर्ट मिलने के बाद ही स्थिति स्पष्ट की जा सकती है।”

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