
नई दिल्ली। घरेलू शेयर बाजारों (Stock Markets) में इस हफ्ते आई ताबड़तोड़ आईपीओ (IPO) की बाढ़ ने एक बार फिर साबित कर दिया है निवेश भारत (Invest India) की विकास कहानी में मजबूत विश्वास दिखा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि यह जोश ऐसे समय में देखने को मिला है जब निफ्टी और सेंसेक्स (Nifty and Sensex) पिछले 13 महीनों से कोई रिटर्न नहीं दे पाए हैं। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल भारत में प्राइमरी मार्केट में रिकॉर्ड स्तर पर फंड्स का प्रवाह देखने को मिला है, जो निवेशकों के बीच देश की आर्थिक संभावनाओं को लेकर बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।
बैंकिंग और बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा ने बताया कि आईपीओ में यह उछाल, विशेष रूप से टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया के ब्लॉकबस्टर निर्गमों के साथ, स्पष्ट रूप से भारतीय विकास की कहानी में घरेलू निवेशकों के गहरे और अटूट विश्वास को दर्शाता है। यह एक शक्तिशाली संकेत है कि स्थानीय पूंजी न केवल प्राथमिक बाजार का समर्थन कर रही है, बल्कि सक्रिय रूप से उसे आगे बढ़ा रही है। वैश्विक अस्थिरता और द्वितीयक बाजार से विदेशी पूंजी के बहिर्वाह को संतुलित कर रही है।
व्हाइटओक कैपिटल के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और सीईओ ने कहा कि बाजार में निवेश की अच्छी-खासी रकम फिलहाल प्रतीक्षा में है और निवेशक नए अवसरों की तलाश में हैं। उन्होंने कहा कि जब सेकेंडरी मार्केट काफी ऊपर चली जाती है और अब वहां से सीमित रिटर्न मिल रहे हों, तब निवेशक आईपीओ जैसे नए विकल्पों की ओर रुख करते हैं।
टाटा कैपिटल के आईपीओ के बारे में चर्चा है कि यह प्राइवेट मार्केट डील्स की तुलना में छूट पर आ सकता है, जिससे निवेशकों को इसमें आकर्षण दिख रहा। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान माहौल में व्हाइट गुड्स और कंज्यूमर सेक्टर को मजबूत रुझान का फायदा मिल रहा है। टाटा एनबीएफसी और एलजी जैसे बड़े ब्रांड इस सकारात्मक माहौल के प्रमुख लाभार्थी हैं, इसलिए इनके आईपीओ में उत्साह दिखना स्वाभाविक है।
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जुटाई गई धनराशि के मामले में भारत दुनिया भर में चौथा सबसे बड़ा आईपीओ बाजार बनकर उभरा है। यह केवल अमेरिका, हांगकांग और चीन से पीछे है। कुछ ऐतिहासिक मानकों और उच्च गतिविधि की विशिष्ट अवधियों में, भारत वैश्विक स्तर पर तीसरे सबसे बड़े प्राथमिक बाजार के रूप में भी स्थान रखता है। सार्वजनिक होने की योजना बना रही कंपनियों की मजबूत पाइपलाइन से पता चलता है कि भारत का स्थान वैश्विक स्तर पर शीर्ष पर बना रहेगा।
भारत के प्राथमिक बाजार की गतिविधियां 2025 में भी मजबूत बनी रहेंगी। टाटा कैपिटल (करीब 15,512 करोड़ रुपये) और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया (करीब 11,607 करोड़ रुपये) के हालिया बड़े इश्यू को छोड़कर, चालू कैलेंडर वर्ष में 74 भारतीय कंपनियां पहले ही आईपीओ के जरिए 85,241 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटा चुकी हैं। इसने 2025 को भारत के प्राथमिक बाजार के इतिहास में सबसे बड़े धन लाने वाले वर्षों में से एक बनने की राह पर ला खड़ा किया है।
निवेशकों की रुचि भी व्यापक रही है साथ ही गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं, प्रौद्योगिकी व अन्य सहित अनेक क्षेत्रों में भागीदारी देखी गई है। प्रमुख आईपीओ को मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया उनके ओवरसब्सक्रिप्शन आकड़ों में भी झलकती है। एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया को कुल मिलाकर 54.02 गुना का अभूतपूर्व सब्सक्रिप्शन मिला, जबकि टाटा कैपिटल को कुल मिलाकर 1.95 गुना सब्सक्रिप्शन मिला। ये आंकड़े सेकेंडरी बाजारों में उतार-चढ़ाव के बावजूद निवेशकों के उच्च स्तर के विश्वास को दर्शाते हैं।
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