
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लागू होने के बाद अप्रत्यक्ष करों (indirect taxes) में काफी कमी आई है. उन्होंने कहा कि पुरानी कर प्रणाली के तहत औसत अप्रत्यक्ष कर दर 15.8% थी, जो अब घटकर 11.3% हो गई है. तृणमूल कांग्रेस (AITC) के सांसद नदीमुल हक के एक सवाल का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि GST लागू होने के बाद से कर की दरों में लगातार गिरावट देखी गई है.
उन्होंने कहा, “पहले रोजमर्रा की चीजों पर 15.8% कर लगता था, लेकिन अब यह घटकर 11.3% हो गया है. GST काउंसिल द्वारा लगातार दरों में कटौती की जा रही है.” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि GST से किसी भी वस्तु पर कर भार नहीं बढ़ा, बल्कि कई उत्पादों पर टैक्स दरें घटी हैं.
सत्र के दौरान सांसद हक ने यह भी पूछा कि क्या सरकार GST ढांचे को और सरल बनाने के लिए कर स्लैब्स की संख्या घटाने पर विचार कर रही है, जैसा कि इनकम टैक्स के मामले में किया गया था. इस पर वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि GST परिषद (GST Council) सहकारी संघवाद (cooperative federalism) का एक प्रमुख उदाहरण है. उन्होंने स्पष्ट किया कि GST से जुड़े सभी फैसले परिषद में सामूहिक रूप से लिए जाते हैं, जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं.
चौधरी ने बताया कि GST दरों को और अधिक सरल और प्रभावी बनाने के लिए 45वीं GST परिषद बैठक के बाद एक मंत्री समूह (GoM) का गठन किया गया था. इस समूह की अध्यक्षता कर्नाटक के वित्त मंत्री कर रहे हैं, जिन्हें GST दर संरचना की समीक्षा करने और आवश्यक बदलावों की सिफारिश करने की जिम्मेदारी दी गई है.
GST दरों के निर्धारण को लेकर वित्त मंत्री सीतारमण ने स्पष्ट किया कि ये फैसले केंद्र सरकार अकेले नहीं लेती, बल्कि यह पूरी तरह से GST परिषद के निर्णयों पर निर्भर करता है. उन्होंने कहा, “यह भारत सरकार का अकेला निर्णय नहीं है, बल्कि परिषद में चर्चा के बाद सामूहिक रूप से लिया जाता है.” उन्होंने यह भी बताया कि राज्यों के वित्त मंत्रियों को पूरी स्वतंत्रता है कि वे अपने राज्य की जरूरतों के आधार पर GST दरों में बदलाव का सुझाव दें. यदि कोई राज्य किसी वस्तु पर कर की दर कम या ज्यादा करना चाहता है, तो वह अपने वित्त मंत्री के माध्यम से GST परिषद में प्रस्ताव रख सकता है.
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