इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) में इन दिनों तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) द्वारा आयोजित प्रदर्शनों ने शहबाज शरीफ सरकार की नींदें उड़ा रखी हैं। फिलिस्तीन (Palestine) के समर्थन में आयोजित यह विरोध प्रदर्शन अब हिंसक हो गया है जिसमें एक पुलिस अधिकारी सहित कम से कम 5 लोगों की मौत हो गई। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सोमवार को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प की कई खबरें सामने आई हैं। कई वाहनों को भी फूंक दिया गया है। इस बीच अब तक 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
इससे पहले TLP ने बीते गुरुवार को लाहौर से इस्लामाबाद तक मार्च का आह्वान किया था। समूह ने इजरायल और हमास के बीच युद्ध को समाप्त करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के गाजा समझौते के विरोध में इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास तक मार्च करने की योजना की घोषणा की थी। हालांकि शुक्रवार को प्रदर्शन तब हिंसक हो गए जब इस कट्टरपंथी समूह ने इस्लामाबाद तक ‘लब्बैक या अक्सा मिलियन मार्च’ का आह्वान किया। इस कदम का पाकिस्तानी अधिकारियों ने कड़ा विरोध किया और पथराव के बीच प्रदर्शनकारियों पर लाठियां चलाईं और आंसू गैस के गोले दागे।
ताजा हिंसा क्यों?
अधिकारियों ने इस्लामाबाद और पड़ोसी रावलपिंडी में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दीं। शुक्रवार के विरोध प्रदर्शन के दौरान, लगभग 50 पुलिस अधिकारी घायल हो गए, जबकि टीएलपी ने दावा किया कि उसके कुछ सदस्य मारे गए हैं। अगले दिन, अधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन के दौरान 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया। सोमवार को नया संघर्ष शुरू हुआ जब प्रदर्शनकारियों ने TLP द्वारा जब्त किए गए शिपिंग कंटेनर हटाने की कोशिश की और लाहौर में पुलिस से भिड़ गए।
कुछ साल पहले तक तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान में ज्यादा चर्चित राजनीतिक संगठन नहीं था। हालांकि पिछले कुछ सालों में यह संगठन देश की राजनीति से ज्यादा धार्मिक मुद्दों, खासकर ईशनिंदा और अहमदिया समुदाय से जुड़े मुद्दों पर अपने हिंसक हस्तक्षेप की वजह से चर्चा में रहा है। TLP का उदय 2015 में हुआ जब उसने पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून का विरोध करने पर पंजाब के पूर्व गवर्नर सलमान तासीर की हत्या के दोषी को बचाने के लिए व्यापक विरोध प्रदर्शन आयोजित किए थे। जैसे-जैसे समय बीतता गया, पार्टी को प्रमुखता मिली। 2018 के चुनावों में इस समूह में देश के ईशनिंदा कानून के बचाव को लेकर बड़ा अभियान चलाया था। तब से टीएलपी को हिंसक विरोध प्रदर्शनों के लिए जाना जाता है, खासकर धार्मिक मुद्दों पर।
अपनी वेबसाइट पर TLP दावा करती है कि वह पाकिस्तान का एकमात्र राजनीतिक और धार्मिक आंदोलन है जिसने पवित्र पैगंबर के सम्मान की रक्षा के लिए लगातार आवाज उठाई है। पार्टी ने कई हिंसक विरोध प्रदर्शन भी किए हैं, खासकर विदेशों में कुरान के अपमान के खिलाफ। इसके अलावा यह कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी 2025 में अहमदिया समुदाय के सदस्यों और उनके पवित्र स्थलों पर हमलों के कारण सुर्खियों में रही है।
ताजा प्रदर्शनों पर TLP ने क्या कहा है?
TLP ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन मूल रूप से इजरायल और हमास के बीच गाजा युद्धविराम समझौते का विरोध करने के लिए आयोजित किया गया था, जिसका पाकिस्तान ने समर्थन किया था। इसका उद्देश्य गाजा युद्ध में फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता व्यक्त करना भी था। TLP के वरिष्ठ सदस्य अल्लामा मुहम्मद इरफान ने कहा है कि पार्टी की कोई मांग नहीं है और यह मार्च गाजा के लोगों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए था। इरफान ने एएफपी को बताया, “हमें नहीं पता कि हम इस्लामाबाद कब पहुंचेंगे, लेकिन सरकार हमारे साथ क्रूरता कर रही है। हम सरकार के साथ बिल्कुल भी बातचीत नहीं कर रहे हैं।”
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