
लाहौर। पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार ने गुरुवार को तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) की प्रतिबंधित संगठन की सूची से हटाए जाने की प्रारंभिक मंजूरी दे दी। इस संबंध में उन्हें एक संक्षिप्त प्रस्ताव भेजा गया था।
इससे साफ है कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें बढ़ाने वाला संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान दिनोंदिन अपनी पकड़ मजबूत करता जा रहा है। करीब हफ्ते पहले इसे प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
यह जानकारी प्रतिबंधित इस्लामी समूह टीएलपी और इमरान खान सरकार के बीच हुई कई हफ्तों की झड़पों के बाद पिछले रविवार को हुए समझौते के बाद सामने आई है। जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के गृह विभाग ने टीएलपी की प्रतिबंधित स्थिति को हटाने के लिए सीएम उस्मान बुजदार को एक संक्षिप्त प्रस्ताव भेजा है।
सूत्रों ने कहा कि प्रारंभिक मंजूरी देने के बाद मुख्यमंत्री बुजदार ने इसे संघीय मंत्रिमंडल के पास भेज दिया है ताकि इस संबंध में अंतिम निर्णय लिया जा सके। सेवा विभाग के कैबिनेट विंग ने अब सूबे के सभी मंत्रियों को उनके हस्ताक्षर के लिए इस सारांश को भेजा है, जबकि सूत्रों ने कहा है कि इसे अनुमोदित करने के लिए कम से कम 18 मंत्रियों के समर्थन की आवश्यकता है।
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, नियमों के मुताबिक अगर तीन दिनों के भीतर कोई जवाब नहीं मिलता है, तो इस सारांश को स्वीकृत माना जाएगा। इसके साथ ही प्रांतीय सरकार ने प्रतिबंधित संगठन के 90 कार्यकर्ताओं के नाम चौथी अनुसूची से हटाने का भी फैसला किया है। लाहौर में पंजाब के कानून मंत्री राजा बशारत की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान यह फैसला लिया गया।
चौथी अनुसूची में आतंकवाद विरोधी अधिनियम की एक धारा है जिसके तहत आतंकवाद के संदेह वाले व्यक्ति को निगरानी में रखा जाता है। प्रभावी निगरानी के लिए सूची को पुलिस और अन्य कानून लागू करने वालों को भेजा जाता है। यदि चौथा अनुसूची में आने वाला शख्स यानि संदिग्ध आतंकी कहीं जाना चाहता है तो उसे अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में इसकी सूचना देनी होगी।
इस सूची में राज्य विरोधी गतिविधियों में शामिल होने और भड़काऊ भाषण देने के संदेह वाले लोग भी शामिल हैं। जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, बैठक में प्रतिबंधित संगठन के 100 और कार्यकर्ताओं को प्रांत की विभिन्न जेलों से रिहा करने का भी निर्णय लिया गया।
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