
इन्दौर। तीन दिन पहले ही कैबिनेट ने इन्दौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड कॉरिडोर को वित्तीय मंजूरी दी और कल प्रशासन ने जमीन मालिकों को प्राप्त आपत्तियों की सुनवाई भी की और इसके साथ ही एमपीआरडीसी ने टेंडर भी बुला लिए। इस ग्रीन फील्ड कॉरिडोर के साथ फोरलेन के फ्लायओवर के टेंडर भी आमंत्रित किए है। ऑनलाइन यह टेंडर 14 अक्टूबर तक क्रय कर जमा किए जा सकेंगे। कॉरिडोर के निर्माण की लागत जीएसटी को छोडक़र 1237.21 करोड़ रुपये आंकी गई है तो फ्लायओवर की लागत 156.65 करोड़ रुपये मानी गई है, जिसके आधार पर ठेकेदार फर्मों से प्रस्ताव बुलवाए जा रहे हैं।
आगामी सिंहस्थ के मद्देनजर में जहां वर्तमान इन्दौर-उज्जैन को फोरलेन को सिक्स लेन में परिवर्तित किया जा रहा है, वहीं इन्दौर-उज्जैन के बीच एक नया फोरलेन ग्रीन फील्ड कॉरिडोर भी विकसित होगा, उससे इंदौर एयरपोर्ट से सीधे उज्जैन की कनेक्टिविटी मिलेगी। पितृ पर्वत के पास यह ग्रीन फील्ड कॉरिडोर बनेगा जो उज्जैन के चिंतामण गणेश तक निर्मित होगा। इस कॉरिडोर की कुल लंबाई 48 किलोमीटर रहेगी। कल हातोद और सांवेर तहसील के एसडीएम घनश्याम धनगर ने 296 आपत्तियों की सुनवाई की। कैबिनेट ने 2935 करोड़ रुपए की प्रशासकीय मंजूरी इस कॉरिडोर के लिए दी है। हाईब्रिड एनयूटी मॉडल पर इस कॉरिडोर का निर्माण करवाया जाएगा।
इसमें 34 अंडरपास, एक रेलवे के अलावा दो अन्य फ्लायओवरों सहित आधा दर्जन से ज्यादा छोटे पुल और दो बड़े जंक्शनों का निर्माण किया जाएगा। रखरखाव की जिम्मेदारी भी 17 सालों तक ठेकेदार फर्म के पास ही रहेगी। इस कॉरिडोर के अलावा मध्यप्रदेश रोड विकास निगम ने उज्जैन के हरी फाटक चौराहे से नीलकंठ द्वार तक निर्मित होने वाले फोरलेन रेलवे ओवरब्रिज के लिए भी टेंडर आमंत्रित किए है। इस फोरलेन की गुल लंबाई 500 मीटर रहेग, जिसमें बडऩगर की ओर 140 मीटर तथा त्रिवेणी द्वार की ओर 360 मीटर का निर्माण किया जाएगा। पूर्व में शासन ने ग्रीन फील्ड कॉरिडोर के निर्माण का जिम्मा लोनिवि को सौंपा था, मगर अब इस कॉरिडोर के अलावा रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण भी एमपीआरडीसी के माध्यम से करवाया जा रहा है। इन दोनों प्रोजेक्टों पर 1400 करोड़ रुपये से अधिक की राशि निर्माण पर ही खर्च होगी और ग्रीन फील्ड कॉरिडोर के लिए जमीनों का जो अधिग्रहण किया जाएगा, उसके लिए नकद मुआवजा भी किसानों को बांटना पड़ेगा। लिहाजा उसके लिए भी पर्याप्त राशि का प्रावधान इस प्रोजेक्ट में किया गया है। यही कारण है कि कैबिनेट ने 2935 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।
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