
नई दिल्ली । भारत पाकिस्तान(india pakistan) की सीमा पर बढ़ी सुरक्षा के बीच(amid security) कई गांवों के लोग अपने परिवारों को सीमा से दूर भेज(send it off the border) रहे हैं.इन लोगों के मन में पहले हुई लड़ाइयों की डरावनी यादें आज भी ताजा हैं.चेनाब नदी के किनारे बसा सैंथ गांव करीब 1,500 लोगों का घर है.यहां के लोगों पर भारत पाकिस्तान के बैर का डर हमेशा हावी रहता है।
गांव के प्रधान सुखदेव कुमार कहते हैं, “हमारे यहां के लोग दूर की योजना नहीं बना सकते.ज्यादातर गांववासी बुनियादी घर के अलावा और कोई निवेश नहीं करते.कौन जानता है, दूसरी तरफ से दगा कोई भटका हुआ गोला कब सबकुछ तबाह कर दे?”भारत पाकिस्तान के रिश्ते बिगड़ेपहलगाम के ताजा हमलों के बाद भारत-पाकिस्तान के रिश्ते और बिगड़ गए हैं।
भारतीय कश्मीर में आम लोगों के खिलाफ कई सालों के सबसे भयानक हमले में भारत ने पाकिस्तान पर आरोप लगाए हैं.भारत की पुलिस ने हमला करने वाले तीन संदिग्ध के स्केच जारी किए हैं.इनमें दो पाकिस्तानी और एक भारतीय है.उनका कहना है कि हमलावर पाकिस्तान के लश्कर ए तैयबा संगठन से जुड़े हैं.संयुक्त राष्ट्र ने लश्कर-ए-तैयबा को आतंकवादी संगठन घोषित किया है. 22 अप्रैल के हमले में 26 आम लोगों की मौत हुई है.इसके बाद से दोनों देश एक दूसरे पर कूटनीतिक हमले कर रहे हैं.इनमें एक दूसरे के नागरिकों को देश के बाहर भेजना भी शामिल है।
भारत की सेना ने शनिवार को कहा कि नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सैनिकों के साथ गोलीबारी हुई है.सेना के मुताबिक 24 अप्रैल के बाद से लगभग हरेक रात गोलीबारी हो रही है.सैंथ का इलाका जम्मू और कश्मीर के उस हिस्से में है जो खुला और खूब हराभरा है.गांव की आबादी में ज्यादातर हिंदू हैं.हर तरफ सुरक्षा बलयहां की मुख्य सड़क पर बड़े-बड़े सैन्य शिविर हैं.घनी झाड़ियों के पीछे वॉचटावर हैं.सुखदेव कुमार का कहना है कि ज्यादातर परिवारों ने सुरक्षा के लिहाज से कहीं और घर बनाने के लिए बचत की.उनका कहना है कि जिन लोगों के पास खेत हैं, उनमें से एक तिहाई लोग भी गांव में नहीं हैं. ज्यादातर लोग यहां से कहीं और चले गए.1999 में जब कारगिल के पहाड़ों पर भारत पाकिस्तान की लड़ाई हुई थी तब यहां के लोगों को बड़ी दिक्कतें हुई थीं।
40 साल के विक्रम सिंह यहां एक स्थानीय स्कूल चलाते हैं.कारगिल की लड़ाई के वक्त वह किशोर थे.समाचार एजेंसी एएफपी को उन्होंने बताया कि तब मोर्टार से खूब गोलीबारी होती थी.उनमें से कई तो लोगों के सिर के ऊपर से गुजरते और कुछ आसपास ही फट जाते थे.सिंह का कहना है, “तब बहुत तनाव था, और अब भी तनाव है.पहलगाम पर हमले के बाद से यहां बहुत चिंता है, बच्चे डरे हुए हैं, बुजुर्ग डरे हुए हैं, हर कोई भय में जी रहा है”भारत और पाकिस्तान पर अपने विवाद को बातचीत से सुलझाने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव पड़ रहा है।
अमेरिका ने नेताओं से तनाव घटाने को कहा तो पड़ोसी चीन ने संयम बरतने को जबकि यूरोपीय संघ ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि स्थिति चिंताजनक है.लड़ाई में बचने की तैयारीजमीनी हालात देख कर सिंह को नहीं लगता कि कोई लड़ाई होगी.उनका कहना है, “कई बार हम महसूस करते हैं कि अब लड़ाई जरूर होनी चाहिए, हमारे लिए तो यह पहले से ही हर दिन की सच्चाई है. हम लगातार गोलीबारी के डर में जीते हैं, तो शायद यह होगा, हम एक या दो दशक बाद ही शांति से रह सकेंगे”पास ही मौजूद जम्मू के एक और गांव ट्रेवा में भी काफी हलचल है।
गांव की पूर्व प्रधान 36 साल की बलबीर कौर का कहना है, “अब तक तो स्थिति शांत है, आखिरी बार सीमा पार गोलीबारी 2023 में हुई थी” हालांकि गांववासी तैयारी में जुटे हैं.कंक्रीट के बंकरों को साफ किया जा रहा है, क्या पता कब जरूरत पड़ जाए.बलबीर कौर बताती हैं, “पाकिस्तान की तरफ से गोलीबारी में पहले कई लोगों की जान गई है.पिछले कुछ दिनों से हम बंकरों की जांच कर रहे हैं, अभ्यास कर रहे हैं और आपाकालीन तौर तरीकों को देख रहे हैं, हो सकता है कि हालात बिगड़ जाएं” कौर यह भी कहती हैं कि भारत का रुख सही है, आतंकवादियों और उनके समर्थकों को सजा मिलनी चाहिए।
65 साल के द्वारका दास किसान हैं.परिवार के सात सदस्यों की जिम्मेदारी उन्हीं पर है.वह भारत पाकिस्तान संघर्ष के कई दौर के साक्षी रहे हैं.उनका कहना है, “हम लोग ऐसी स्थितियों के आदी हैं.पिछले विवादों के दौरान हम भाग कर स्कूलों और आसपास के शहरों में शरण लेते थे.हमारे लिए कोई अलग स्थिति नहीं होगी”.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved