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व्यापार और वीजा पर तनाव : अमेरिका फुल है, भारतीयों को वीजा मत !

September 06, 2025

वाशिंगटन। अमेरिका के दक्षिणपंथी खेमे (The American Right) में भारत विरोधी मुहिम (Anti india Campaign) जोर पकड़ रही है। डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के राष्ट्रपति बनने के बाद से कई प्रमुख “मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” (MAGA) समर्थक इंफ्लुएंसर्स और कंजरवेटिव आवाजें सोशल मीडिया पर भारत को लेकर हमलावर हो गई हैं। उनका निशाना भारत से जुड़े व्यापार, वीजा नीति, छात्रों और आईटी/कॉल सेंटर उद्योग पर है। आलोचकों का कहना है कि यह अभियान नस्लभेदी और पाखंड से भरा हुआ है।



व्यापार और वीजा पर तनाव
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारतीय उत्पादों पर 50% तक का टैरिफ लगा दिया है, जिसमें आधा हिस्सा रूस से तेल खरीदने की वजह से लगाया गया बताया गया। इसी पृष्ठभूमि में फॉक्स न्यूज की होस्ट लॉरा इंग्राहम ने X पर लिखा, “भारत के साथ किसी भी व्यापार समझौते का मतलब होगा उन्हें और वीजा देना। मैं ऐसा नहीं चाहती। मोदी को देखना चाहिए कि इसके बदले उन्हें शी जिनपिंग से क्या शर्तें मिल सकती हैं।”

चार्ली किर्क, जो “टर्निंग पॉइंट्स USA” नामक कंजरवेटिव संगठन चलाते हैं, उन्होंने भारतीय पेशेवरों पर अमेरिकी नौकरियों छीनने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा, “अमेरिका को भारत से आने वाले लोगों के लिए और वीजा देने की जरूरत नहीं है। कानूनी तौर पर अमेरिका आने वाले शायद ही किसी देश के लोगों ने अमेरिकियों को उनके काम से रिप्लेस किया है जितना भारतीयों ने किया। बस, बहुत हो गया। हम फुल हो चुके हैं। आइए, आखिरकार अपने लोगों को प्राथमिकता दें।”

उधर, अतिदक्षिणपंथी कमेंटेटर जैक पोसोबिक ने भारत के आउटसोर्सिंग उद्योग पर निशाना साधते हुए कहा, “कॉल सेंटर पर टैरिफ लगाओ। सभी पर। विदेशी कॉल सेंटर और रिमोट वर्कर्स पर 100% टैरिफ होना चाहिए।”
भारतीय-अमेरिकी समुदाय में निराशा

यह बदलता रुख खासतौर पर चौंकाने वाला माना जा रहा है क्योंकि 2024 के राष्ट्रपति चुनावों में बड़ी संख्या में भारतीय-अमेरिकी वोटर्स ने पहली बार डोनाल्ड ट्रंप और रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन किया था। सोशल मीडिया पर ही कुछ लोगों ने इस बात पर अफसोस जताया कि जीत के कुछ ही महीनों बाद दक्षिणपंथी खेमे से खुलेआम भारत-विरोधी और नस्लभेदी बयानबाजी सामने आ रही है।

एक यूजर ने लिखा, “मैं हैरान हूं कि दक्षिणपंथ का एक हिस्सा कैसे जीत के बाद हार का माहौल बना रहा है। मैंने कई भारतीय-अमेरिकी वोटर्स को ट्रंप के पक्ष में जाते देखा, लेकिन अब वे इस बयानबाजी से पछता रहे हैं। वीजा पर रोक लगाइए, इमिग्रेशन में कुछ रोक लगाइए… यह तो खुला नस्लवाद है।”

पत्रकारों और नेताओं की प्रतिक्रिया

पत्रकार बिली बिनियन ने इसे अमेरिकी दक्षिणपंथ की ‘एंटाइटलमेंट मानसिकता’ बताया। उन्होंने लिखा, “यह हकदारी की मानसिकता है। कुछ कंजरवेटिव नहीं चाहते कि मेहनती प्रवासी उनसे बेहतर काम करें। मुझे तो बताया गया था कि प्रोग्रेसिव ही मेरिट के खिलाफ हैं।”

भारतीय-अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने भी राष्ट्रपति ट्रंप को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “हम डोनाल्ड ट्रंप के अहंकार को भारत-अमेरिका संबंधों को तबाह करने की अनुमति नहीं दे सकते। यह रिश्ता रणनीतिक रूप से जरूरी है ताकि अमेरिका चीन के मुकाबले अग्रणी बना रहे।”
भारत की अहमियत

भारत के नागरिक अमेरिकी इमिग्रेशन में अहम भूमिका निभाते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 75% H-1B वीजा धारक भारतीय हैं, जो गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अमेजॉन जैसी कंपनियों में नवाचार की रीढ़ हैं। 2 लाख से अधिक भारतीय छात्र अमेरिका में पढ़ाई कर रहे हैं, जिनसे विश्वविद्यालयों और स्थानीय अर्थव्यवस्था को अरबों डॉलर का योगदान मिलता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारतीय छात्रों और पेशेवरों के रास्ते बंद किए गए तो अमेरिका की टेक्नोलॉजी और उच्च शिक्षा में वैश्विक प्रतिस्पर्धा प्रभावित होगी।

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