
इंदौर। शहर से जुड़े तमाम प्रोजेक्टों पर बीते कई समय से असमंजस की स्थिति थी, मगर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक ही झटके में मीटिंग लेकर उनका निराकरण करवा दिया, जिसमें मेट्रो का अंडरग्राउंड रूट भी, जो बीते डेढ़ सालों से उलझा था। उस पर भी फैसला हुआ और अब एमजी रोड के बजाय मेट्रो खजराना चौराहा के बाद अंडरग्राउंड होगी। हालांकि इस पर 900 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च होगी, जो मध्यप्रदेश सरकार वहन करेगी। मेट्रो के अलावा मास्टर प्लान की सभी प्रमुख सडक़ों, उसमें अलाइनमेंट की आने वाली समस्या, एलिवेटेड कॉरिडोर, कन्वेंशन सेंटर, स्टार्टअप पार्क, हुकमचंद मिल प्रोजेक्ट के साथ-साथ रीडेंसीफिकेशन पर भी निर्णय लिए गए। इंदौर शहर में फ्यूचर रेडी सिस्टम अपनाने का निर्णय भी लिया गया, जिसमें नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल यातायात सुधारने, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, आईटी, इन्फ्रास्ट्रक्चर सहित सीसीटीवी निगरानी नेटवर्क के रूप में किया जाएगा।
इंदौर से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट अधर में थे, क्योंकि शासन स्तर पर निर्णय लंबित था। इंदौर में होने वाली बैठकों में जनप्रतिनिधियों द्वारा जो सुझाव दिए गए, उन पर भोपाल स्तर पर निर्णय नहीं हो पा रहे थे, मगर धन्यवाद मुख्यमंत्रीजी आपको कि एक ही बैठक में सभी बड़े प्रोजेक्टों पर निर्णय ले लिए। अब बस मैदानी अमल के लिए भी लगातार उसकी मॉनीटरिंग करते रहें। कल ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में हुई बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि इंदौर देश के अग्रणी शहरों में शामिल होगा और अधोसंरचनात्मक विकास को नई गति देने के लिए इस मैराथन बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले एक ही झटके में ले लिए गए, जिसमें इंदौर शहर के इन्फ्रास्ट्रक्चर, ट्रैफिक मैनेजमेंट, उद्योग, शिक्षा, पूर्वी-पश्चिमी बायपास, आईटी, पर्यटन, मास्टर प्लान से संबंधित विषय सहित अन्य पर चर्चा हुई।
प्राधिकरण द्वारा तैयार किए गए स्टार्टअप कन्वेंशन सेंटर का भी प्रजेंटेशन हुआ। मुख्यमंत्री ने कन्वेंशन सेंटर को नई दिल्ली के भारत भवन की तर्ज पर विकसित करने और लगभग 600 करोड़ रुपए की लागत वाले इस सेंटर को 3 वर्ष में बनाने का लक्ष्य भी निर्धारित किया और इसकी इनडोर क्षमता 5 हजार तथा आउटडोर क्षमता 10 हजार की रहेगी। इसी तरह लोक निर्माण विभाग की पलासिया स्थित 12 हेक्टेयर जमीन को रीडेंसीफिकेशन पॉलिसी के तहत विकसित किया जाएगा। इसके साथ ही इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर की भी समीक्षा की गई।
उन्होंने इस कॉरिडोर के निर्माण को गति देने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने कहा कि यह कॉरिडोर अपने पूर्ण स्वरूप में विकसित किया जाए। यह प्रयास किए जाएं कि यहां तेजी से औद्योगिक इकाइयां स्थापित हों। इसके लिए निवेशकों को प्रोत्साहित किया जाए तथा भू-स्वामियों को भी आवश्यक मदद दी जाए। बैठक में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव सहित विधायकगणों आदि ने भी अपने-अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। पुलिस कमिश्नर संतोषकुमार सिंह ने इंदौर में महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा के लिए किए जा रहे कार्यों और नवाचारों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जनजागरण के साथ ही महिला शक्ति वाहिनी मोबाइल पेट्रोलिंग सेवा प्रारंभ की गई है।
बैठक में मंत्री विजयवर्गीय ने उठाया मुद्दा
अग्निबाण की खबर बनी चर्चा का विषय, मुख्यमंत्री को करना पड़ी इंदौर प्रभारी होने की पुष्टि
अभी भोपाल में मीडिया से चर्चा करते हुए एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा था कि इंदौर जिला खाली है और वे वहां के प्रभारी मंत्री नहीं हैं। अग्निबाण ने इस खबर का प्रकाशन किया तो यह चर्चा का विषय बनी और कल की बैठक में काबिना मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने चुटकी लेते हुए मुख्यमंत्री से कहा कि हमें अब पता चला कि आप इंदौर के प्रभारी नहीं हैं। अधिकारी तो आपका नाम लेकर हमें चमकाते हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने हंसते हुए कहा कि जो जिले खाली हैं उसका प्रभार भी मेरे पास ही है। यानी इंदौर का प्रभारी भी मैं ही हूं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री के ही अधिकार क्षेत्र में यह रहता है कि वे किस जिले का प्रभार किसको सौंपें। इंदौर चूंकि प्रदेश की राजधानी है और सबसे बड़ा जिला भी और इंदौर से ही पूरे प्रदेश की पहचान बनती है, यही कारण है कि मुख्यमंत्री ने इसका प्रभार अपने हाथों में ले रखा है और उसका फायदा इंदौर को मिलता भी है और शासन स्तर पर तमाम प्रोजेक्ट जल्द अमल में आ जाते हैं।
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