
इंदौर। प्रदेश के महंगे टोल टैक्स चुकाने वाले 155 किलोमीटर के इंदौर-अहमदाबाद मार्ग में वाहन चालकों को दिक्कतें बनी रहती हैं। महंगा टोल लेने वाली कंपनी सडक़ मार्ग की मरम्मत ठीक से नहीं कर पा रही। एनएचएआई के बार-बार नोटिस देने के बावजूद मरम्मत कार्य नहीं हो पाया। अब एनएचएआई मार्ग पर 100 करोड़ रुपए खर्च का सरपट बनाने के पहले चरण का काम पूरा करने की ओर है।
इंदौर से गुजरात को जोडऩे वाला 155 किलोमीटर का फोरलेन बनाने की कवायद दो दशक पहले शुरू हुई थी। लेटलतीफी के साथ इस प्रमुख मार्ग का पूरा निर्माण होने से पहले ही टोल टैक्स लगाया गया, जिसको तकरीबन 8 वर्ष का समय बीत चुका है। यहां से गुजरने वाले छोटे वाहन चालकों को 140 से 180 रुपए फॉस्टैग के साथ और बिना फॉस्टैग 320 रुपए चुकाना होते हैं। वहीं भार वाले वाहन चालकों को और ज्यादा टैक्स यहां से गुजरने के लिए देना पड़ रहा है, जिसका वाहन चालक विरोध भी करते हैं।
बावजूद रोड की मरम्मत समय-समय पर नहीं होती, जिससे महंगा टोल चुकाने के बावजूद खराब सडक़ से वाहन चालकों को आवाजाही करना पड़ती है। एनएचएआई ने इस मार्ग की मरम्मत के लिए तकरीबन 100 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं, जिसमें पहले चरण का कार्य पूर्णता की ओर है। इस मार्ग पर डामर की लेयर चढ़ाने के साथ आउटलाइन और मार्किंग भी की जाएगी। इसको नए जैसा संवारा जा रहा है।
तीन फ्लावर की दरकार
155 किलोमीटर के इस मार्ग पर बेटमा, मांगोद और राजगढ़ तीन प्रमुख ब्लैक स्पॉट माने जाते हैं, जहां पर फ्लावर की दरकार बनी हुई है। एनएचएआई इस बारे में दो बार डीपीआर भी बना चुका है। यहां पर सीधी हाईवे पर क्रॉसिंग होने से कई बार लोगों को एक्सीडेंट में जान गंवाना पड़ी है।
मेठवाड़ा की सडक़ बनाकर तैयार
मार्ग में मेठवाड़ा और दत्तीगांव दो स्थानों पर टोल टैक्स लगाया गया है। मेठवाड़ा टोल से पहले गांव में पहुंचने और महू-नीमच मार्ग को जोडऩे के लिए पीडब्ल्यूडी की ओर से 3 किमी सडक़ का कार्य पूर्ण हो गया है। इस सडक़ के बनने से ग्रामीणों को लाभ हुआ है, लेकिन ज्यादातर फोर व्हीलर वाहन टोल से बचने के लिए इस मार्ग का उपयोग करते हैं, जिसका टोल कंपनी विरोध तो करती है, लेकिन वह कुछ खास कर नहीं पाई।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved