
ईकोफ्रेंडली और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट केंद्र सरकार ने सराहे, केस स्टडी के साथ भिक्षावृत्ति मुक्त मॉडल भी बना राष्ट्र के लिए उदाहरण
इंदौर। कल तक इंदौर (Indore) की सडक़ों पर भीख (beggars) मांगने वाले हाथों द्वारा बनाई गई आकर्षक कलाकृतियों (artworks) की बिक्री अब विदेशों में होगी, जिसमें ईकोफ्रेंडली (Eco-friendly) और 22 तरह के प्रोडक्ट को केन्द्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिव ने निर्यात गुणवत्ता वाले बताए और साथ ही अपनी टीम को निर्देश दिए कि इन प्रोडक्टों को सही मंच प्रदान किया जाए। भिक्षावृत्ति मुक्ति को देश के लिए उदाहरण बताते हुए इसकी केस स्टडी भी जा रही है। पुनर्वास योजना के तहत अभी तक 3 हजार से अधिक भिक्षावृत्ति में लिप्त लोगों को मुक्त कराया जा चुका है।

कल स्माइल योजना पर भी एक दिवसीय कार्यशाला हुई, जिसमें भिक्षावृत्ति में संलग्र के पुनर्वास पर देशभर के आए नोडल अधिकारियों और क्रियान्वयन एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। अतिरिक्त सचिव श्रीमती करालीन खोंगवर देशमुख ने स्वागत भाषण दिया, तो अपर मुख्य सचिव नगरीय आवास विभाग संजय दुबे ने भी संबोधित किया। वहीं सचिव अमित यादव ने बनाए गए प्रोडक्टों की सराहना भी की और पुनर्वास केन्द्र के भिक्षुकों द्वारा बनाए गए उत्पादकों को अपने मंत्रालय के ब्रांड ट्यूलिप से जोड़ते हुए देसी-विदेशी बाजारों तक पहुंचाने की पहल भी की। इंदौर को भिक्षावृत्ति मुक्त शहर बनाने में सफल योगदान देने वाली संस्था प्रवेश की अध्यक्ष सुश्री रुपाली जैन ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि किस तरह मानसिक रूप से बीमार, शारीरिक रूप से असक्षम, आदतन भिक्षुकों और नशे की गिरफ्त में आए बच्चों, महिलाओं, पुरुषों को इस दल-दल से निकालकर रोजगार और कारोबार में लगाया गया। प्रमुख सचिव श्रीमती सोनाली पोंछे वायंगणकर ने संस्था प्रवेश की सराहना करते हुए कहा कि तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुए इंदौर को भारत का पहला भिक्षावृत्ति मुक्त शहर बनाया गया। कलेक्टर आशीष सिंह ने भी भिक्षावृत्ति पर सख्त प्रतिबंध लगाए।