
- बिजली विभाग पर तय की गई जिम्मेदारी, दोषियों से वसूलें जुर्माना
जबलपुर। नगर निगम और बिजली विभाग के बीच लंबे समय से चला आ रहा बिजली बिलों का विवाद अब नए मोड़ पर पहुंच गया है। स्ट्रीट लाइट की लाइनों से होने वाली बिजली चोरी का बिल अब नगर निगम से वसूल नहीं किया जा सकेगा। निगम प्रशासन ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि चोरी की जिम्मेदारी उसी विभाग की होती है, जिसकी लाइन से बिजली चोरी की जा रही है। ऐसे में अब बिजली विभाग को न सिर्फ चोरी रोकनी होगी, बल्कि दोषियों से जुर्माना और वसूली भी खुद ही करनी पड़ेगी।
दरअसल, अब तक यह व्यवस्था चली आ रही थी कि स्ट्रीट लाइट की लाइनों से यदि अवैध कनेक्शन लेकर बिजली चोरी की जाती है, तो उसकी खपत स्ट्रीट लाइट के मीटर में दर्ज हो जाती थी और पूरा बिल नगर निगम को थमा दिया जाता था। खासकर त्योहारों के दौरान कटिया डालकर बड़े पैमाने पर बिजली चोरी की जाती रही है। निगम प्रशासन का कहना है कि जब लाइन बिजली विभाग की है, तो चोरी रोकने और कार्रवाई करने की जिम्मेदारी भी उसी की है। नगर निगम केवल उपभोक्ता है, न कि निगरानी एजेंसी।
इसी को लेकर नगर निगम ने बिजली विभाग द्वारा भेजे जा रहे बिलों का विस्तृत ऑडिट शुरू कराया है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि स्ट्रीट लाइट की लाइनों से हुई चोरी की राशि भी जोड़कर करोड़ों रुपये के बिल निगम को भेजे गए। इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए निगम ने साफ कहा है कि वह केवल वास्तविक स्ट्रीट लाइट खपत का भुगतान करेगा, चोरी की भरपाई नहीं। दिलचस्प बात यह है कि बिजली चोरी रोकने के लिए बिजली विभाग के पास अपनी अलग विजिलेंस टीम भी है, लेकिन इसके बावजूद चोरी की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश नहीं लग पाया।