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बच्चों की सेहत खराब कर रहा बस्ते का बोझ, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंची MP के निजी स्कूलों की शिकायत

July 22, 2025

भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के निजी स्कूलों पर मनमानी का आरोप (accusation of arbitrariness) लगातार लग रहे हैं। अब यह मामला दिल्ली तक पहुंच गया है। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने दिल्ली पहुंचकर प्रदेश के निजी स्कूलों के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो से शिकायत दर्ज कराई है। कांग्रेस का आरोप है कि प्राइवेट स्कूल बस्ते का बोझ बढ़ाकर बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। वे अवैध वसूली, मनमानी, कमीशनखोरी और बच्चों के मौलिक अधिकारों का लगातार हनन कर रहे हैं।

त्रिपाठी ने शिकायत में लिखा है कि प्रदेश के अधिकतर निजी स्कूल शिक्षा के नाम पर खुलेआम व्यापार कर रहे हैं। अभिभावकों से प्रवेश शुल्क, वार्षिक शुल्क, कंप्यूटर शुल्क, स्मार्ट क्लास शुल्क, बिल्डिंग फंड जैसी मनमानी वसूली के साथ-साथ किताबें, ड्रेस, जूते, बैग आदि पर कमीशनखोरी कर करोड़ों रुपए की अवैध कमाई की जा रही है।

त्रिपाठी ने कहा कि बच्चों के भारी भरकम स्कूल बैग उनके मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं हैं। शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद स्कूल प्रबंधन हर साल किताबों की संख्या और सिलेबस में फेरबदल कर रहा है। त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की इन स्कूलों की अवैध गतिविधियों में पूरी तरह से मिलीभगत है। जांच और निरीक्षण केवल कागजों तक सीमित हैं। भोपाल कलेक्टर द्वारा बनाई गई जांच कमेटी भी आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाई है।


शिकायत में रखी यह मांग
1- प्रदेश के सभी निजी स्कूलों की कार्यप्रणाली और मनमानी की उच्चस्तरीय जांच हो।
2- अवैध वसूली, कमीशनखोरी और बच्चों की सेहत के साथ हो रहे खिलवाड़ पर सख्त कार्रवाई की जाए।
3- बच्चों और अभिभावकों के शोषण को रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
4- पाठयक्रम में NCRT की किताबों को शामिल किया जाए।
5- दोषी स्कूल प्रबंधन और अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई हो।
6- हर स्कूल में सशक्त पेरेंट्स संघ का गठन कर उसकी निगरानी में प्रशासनिक अधिकारियों की भागीदारी सुनिश्चित हो।

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