नई दिल्ली। केंद्र ने सिख समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों (Sikh community and other minorities) के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए कुल 10,225.83 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जिसमें से पिछले 11 वर्षों में स्वरोजगार आय सृजन परियोजनाओं के लिए 7,641 करोड़ रुपये के रियायती ऋण शामिल हैं। राज्यसभा (RS) में सोमवार को अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने यह जानकारी दी।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम सिख समुदाय और अन्य अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए योजनाओं को लागू करता है। उच्च सदन में कुरियन ने प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘1994 में अपनी शुरुआत से NMDFC ने अपनी विभिन्न योजनाओं के तहत 10,225.83 करोड़ रुपये वितरित किए हैं, जिनमें से 27.35 लाख परिवारों को कवर किया गया है।’
किस तरह की लागू हुईं योजनाएं
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रीजीजू ने एक अन्य प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि उनके मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMGVK) लागू किया जा रहा है, जिसमें अल्पसंख्यक-बहुल क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल, महिला सशक्तीकरण आदि क्षेत्रों में विशेष कदम उठाया जाता है। उन्होंने कहा, ‘इस योजना के तहत 11 लाख से अधिक आधारभूत संरचना परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से लगभग 9 लाख इकाइयां पूरी हो चुकी हैं, जिनकी कुल मंजूर परियोजना लागत 26,237 करोड़ रुपये है।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन योजना कौशल विकास और युवाओं को प्रशिक्षण देने, महिला नेतृत्व और उद्यमिता के विकास और स्कूल से अधूरी शिक्षा छोड़कर जाने वालों के लिए शिक्षा समर्थन पर केंद्रित है।
दीर्घकालिक वीजा पर क्या बताया
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘वर्तमान वर्ष में इस योजना के तहत 42 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनकी कुल लागत 700 करोड़ रुपये से अधिक है। इनसे 1.40 लाख लाभार्थियों को फायदा होगा। इस योजना के तहत दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति को 29,600 उम्मीदवारों को आधुनिक कौशल-आधारित नौकरी के क्षेत्रों में प्रशिक्षण देने और 2000 उम्मीदवारों को औपचारिक शिक्षा व्यवस्था से फिर जोड़ने के लिए परियोजना आवंटित की गई है।’ उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक वीजा पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्तियों को दिया जाता है, जैसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई। यह ऐसे लोगों को दी जाती है जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज जैसे वैध पासपोर्ट और वैध वीजा के साथ आए हैं। भारत में बसने के लिए नागरिकता प्राप्त करने की खातिर आवेदन कर रहे हैं।
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