
नई दिल्ली: महालेखा परीक्षक यानी CAG की चयन प्रक्रिया में बदलाव की मांग पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार ने समय मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए सुनवाई टाल दी है. याचिका में मांग की गई है कि CAG का चयन प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता विपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को मिल कर करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने 17 मार्च को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. शुक्रवार,1 अगस्त को हुई सुनवाई में केंद्र ने कोर्ट का ध्यान इस ओर दिलाया CAG के चयन की व्यवस्था संविधान में दी गई है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस प्रक्रिया में किसी भी बदलाव के लिए संविधान संशोधन की जरूरत होगी. जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने उनसे लिखित जवाब दाखिल करने को कहा.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में CAG चयन (Selection) पर 2 याचिकाएं लंबित हैं. एक एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन (NGO Centre for Public Interest Litigation) की है और दूसरी पूर्व डिप्टी CAG अनुपम कुलश्रेष्ठ की. दोनों में कहा गया है कि अभी CAG की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति करते हैं. इस पद की अहमियत को देखते हुए इसके लिए योग्य और निष्पक्ष व्यक्ति का चयन जरूरी है.
CPIL ने CAG के चयन के लिए प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता विपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की कमेटी बनाने की मांग की है. वहीं, अनुपम कुलश्रेष्ठ की याचिका में प्रधानमंत्री, लोकसभा स्पीकर, नेता विपक्ष, संसद की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के कॉलेजियम के जरिए CAG के चयन की मांग की गई है.
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