
नई दिल्ली: केंद्र सरकार (Central Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया है कि सहमति से शारीरिक संबंध (Physical Relationship) बनाने की उम्र कम से कम 18 वर्ष ही हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट से संबंध बनाने की उम्र को कम करने की सिफारिश की गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र ने हलफनामे के जरिए बताया कि मौजूदा कानून, विशेष रूप से यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता, नाबालिगों के हितों की रक्षा के लिए बनाए गए हैं. केंद्र का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि इसमें बदलाव न किया जाए.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उम्र से जुड़े प्रावधान नाबालिगों को शोषण से बचाने के लिए बनाए गए हैं. कई बार परिचित व्यक्ति ही बच्चों को अपना शिकार बना लेते हैं. सरकार ने इस मामले में यह भी माना है कि किशोरावस्था में प्रेम संबंध या सहमति से बने शारीरिक संबंध के मामले में न्यायिक विवेक का इस्तेमाल हो सकता है.
केंद्र ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी के जरिए लिखित जवाब में कहा, भारतीय कानून के तहत 18 साल की सहमति की उम्र काफी विचार के बाद तय की गई है, जिसका पहला उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा करना है. सरकार ने कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 और हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहित जैसे कानून इस पर आधारित हैं कि 18 साल से कम उम्र के बच्चे इसको लेकर सही समझ नहीं रखते हैं. वे वैध तरीके से सहमति देने में सक्षम नहीं होते हैं.
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