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अमल में अटके सैकड़ों प्रकरणों पर कलेक्टर की रहेगी सीधी नजर

July 31, 2025

  • छह दिन से अपडेशन पर था भू अभिलेख पोर्टल
  • आवेदकों को हुई खासी फजीहत, नहीं हो पाई कृषि भूमि के दस्तावेज रजिस्टर्ड, अब नई सुविधा मिलेगी
  • अब मोबाइल पर भी देख सकेंगे नक्शा जूम करके और खसरा खतौनी और जमीन के विक्रय का इतिहास

इंदौर। हाल ही में कलेक्टर आशीष सिंह (collector Ashish Singh) ने आम जनता (General public) की सुविधाओं के लिए पेंडिंग (Pending) पड़े मामलों को तेजी से निपटाने अधिकारियों के बीच विशेष महा अभियान चलाया था। इसका नतीजा यह रहा कि 15 जून से 31 जुलाई के बीच में हजारों पेंडिंग पड़े मामलों को अधिकारियों ने लगभग 100 प्रतिशत हल कर दिया है। सिर्फ देपालपुर को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी तहसीलों में पेंडिंग पड़े मामलों की संख्या 0 हो गई है। जादू की छड़ी घुमाने की तर्ज पर काम हो तो गए, लेकिन पिछले 6 दिनों से भू अभिलेख पोर्टल अपडेशन की प्रक्रिया चलने के कारण कई प्रकरण अमल में अटके हुए हैं, जिन पर कलेक्टर की पूरी नजर रहेगी।



लंबे समय से निस्तेज पड़े अधिकारियों को 5000 प्रति आवेदन दंड का डर दिखाकर आखिरकार कलेक्टर आशीष सिंह ने 6000 से अधिक नामांतरण, 3000 से अधिक सीमांकन और कई विवादित मामलों का निराकरण करवा लिया है। आज आखिरी दिन अपडेशन करने के बाद कल से आवेदकों की शिकायती आवेदन भी लिए जाएंगे, लेकिन उसके पहले आज शाम तक अमल के प्रकरणों को अधिकारियों को पोर्टल पर दर्ज करना होगा। ज्ञात हो कि इंदौर सहित पूरे मध्यप्रदेश में भू अभिलेख पोर्टल का हाल ही में एक बड़ा अपग्रेडेशन वेब जीआईएस 2.0 किया गया। इस अपडेट के दौरान पोर्टल 23 जुलाई की रात 12 बजे से 29 जुलाई की रात 12 बजे तक पूरी तरह बंद था, जिसके चलते नक्शा, प्रमाणित दस्तावेज, ऋण पुस्तिका, बी 1 बी2 की प्रति या व्यपवर्तन सूचना जैसी सभी भू अभिलेख संबंधी सेवाएं ठप हो गई थी। भूमि से संबंधित रजिस्ट्री, ऑनलाइन भुगतान और आरसीएमएस आदेश संबंधी सेवाओं को भी रोक दिया गया था। इस वजह से आम जनता, किसान, पटवारी या रजिस्ट्री कार्यालयों में लेन-देन पूरी तरह ठप हो गया था आम आवेदकों की इस दौरान अच्छी खासी फजीहत होती रही। कई कृषि भूमियों के दस्तावेज रजिस्ट्रेशन और विक्रय की प्रक्रिया नहीं हो सकी, लेकिन अब शासन द्वारा शुरू किए गए नए पोर्टल की शुरुआत होते ही काम में दोगुनी तेजी आ जाएगी।

पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा
बताया गया है कि सिवनी और नरसिंहपुर जिलों में पहले पायलट टेस्टिंग कर सफल कार्यान्वयन हुआ था और अब प्रदेशभर में यह लागू किया गया और नया वेव जीआईएस2.0 पोर्टल आज से नए यूआरएल पर लाइव कर दिया गया है। भूमि अभिलेख के पुराने पोर्टल की नई पोर्टल में कई तरह की सुविधा अपग्रेडेशन के साथ उपलब्ध कराई गई है। अब मोबाइल पर ही नक्शे जूम इन जूम आउट जैसी सुविधाएं मिलेंगी। नामांतरण सीमांकन के आवेदन के साथ-साथ संपदा 2.0 के सपोर्ट में सारे दस्तावेज मोबाइल पर ही उपलब्ध हो सकेंगे। पुराना पोर्टल जिन दिक्कतों का सामना कर रहा था, उन्हें आधुनिक नए पोर्टल में खत्म कर गया है मोबाइल-फ्रेंडली और इंटरएक्टिव स्पीड और परफॉर्मेंस को बहुत बेहतर बनाया गया है।

यह दिक्कतें दूर हुर्इं
पुराने पोर्टल पर गति धीमी होने के साथ-साथ लोडिंग प्रक्रिया भी बहुत परेशानी भरी रही है। इसे तेज, अधिक रेस्पॉन्सिव बनाया गया है। पुराने पोर्टल पर सेवाएं सीमित जैसे खसरा-खतौनी देखना, नक्शा देखना ही था, जो अब विस्तृत सेवाएं के साथ ऑनलाइन नामांतरण आवेदन, सिग्नेचर वेरिफिकेशन, भुगतान, मालिकाना इतिहास, भाषा विकल्प के साथ लांच किया गया है। अब तक पोर्टल केवल हिंदी या अंग्रेजी में काम करता था, लेकिन अब नए पोर्टल को बहुभाषी बनाया गया है। हिंदी अंग्रेजी के साथ-साथ अब स्थानीय भाषाओं में भी पोर्टल काम करेगा। डिजिटल सत्यापन के साथ इसे पूरी तरह ऑनलाइन प्रक्रिया से जोड़ दिया गया है। नामांतरण, वसीयत, विरासत के साथ हाई-रेजोल्यूशन नक्शे मिल सकेंगे। यह पोर्टल अन्य विभागों से लिंक किया गया है। पंचायत, नगरीय निकाय, रजिस्ट्री विभाग से जानकारी एक क्लिक पर ही उपलब्ध हो जाएगी। यहां आम आवेदकों के सपोर्ट के लिए हेल्पलाइन, ट्रैकिंग सुविधा भी दी गई है।

यह है मुख्य फायदे
ऑनलाइन नामांतरण/विरासत/ विक्रय अपडेट आवेदन
खसरा खतौनी एवं भू-मानचित्र की डाउनलोड सुविधा
भू-अभिलेख की डिजिटल सत्यापन
भू-संपत्ति का इतिहास/पूर्व के मालिकों की जानकारी
जीआईएस आधारित नक्शा और सीमांकन
भूमि की स्थिति ट्रैक करने की सुविधा (जैसे केस पेंडिंग है या नहीं)
किसानों को फसल बीमा और ऋण के लिए जमीन की जानकारी तुरंत

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