
नई दिल्ली । अयोध्या(Ayodhya) राम मंदिर मामले(Ram Temple case) में हालिया बयान पर पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़(Former CJI DY Chandrachud) ने गुरुवार को सफाई पेश(presenting an explanation) की है। उन्होंने एक इंटरव्यू में बयान दिया था कि बाबरी मस्जिद का निर्माण बुनियादी तौर पर अपवित्र कार्य था, जिसके बाद विवाद छिड़ गया था। अब अपनी सफाई में पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।
एक इंटरव्यू में पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ से जब सवाल किया गया कि क्या अपवित्र करने को लेकर हिंदू पक्ष जिम्मेदार था, जैसे कि मूर्ति रखना। इस पर जस्टिस (रिटायर्ड) चंद्रचूड़ ने कहा, ”मस्जिद का निर्माण ही बुनियादी रूप में अपवित्र कार्य था।” चंद्रचूड़ के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बवाल छिड़ गया था। अब उन्होंने अपने इस बयान को स्पष्ट किया है।
जस्टिस (रिटायर्ड) चंद्रचूड़ ने कहा, ”सोशल मीडिया पर जो हो रहा है वह यह है कि लोग जवाब के एक हिस्से को उठाकर दूसरे हिस्से के साथ जोड़ देते हैं, जिससे संदर्भ पूरी तरह से हट जाता है।” उन्होंने साफ किया कि अयोध्या मामले का फैसला आस्था के आधार पर नहीं, बल्कि साक्ष्य और कानूनी सिद्धांतों के आधार पर हुआ था।
पूर्व सीजेआई ने कहा, “फैसला 1,045 पन्नों का था क्योंकि मामले का रिकॉर्ड 30,000 पृष्ठों से अधिक का था। इसकी आलोचना करने वाले ज्यादातर लोगों ने फैसला नहीं पढ़ा है। पूरा दस्तावेज पढ़े बिना सोशल मीडिया पर अपनी राय पोस्ट करना आसान है।” इंटरव्यू में पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने यह भी बताया कि फैसले में न्यायालय को पुरातात्विक साक्ष्य मिले कि मस्जिद के नीचे एक मंदिर था, जिसे मस्जिद बनाने के लिए तोड़ दिया गया था।
उन्होंने कहा, ”अब, जब आप स्वीकार करते हैं कि इतिहास में ऐसा हुआ था, और हमारे पास पुरातात्विक साक्ष्य के रूप में सबूत मौजूद हैं, तो आप अपनी आंखें कैसे बंद कर सकते हैं? तो, इनमें से कई टिप्पणीकार, जिनका आपने जिक्र किया है, वास्तव में इतिहास के बारे में एक चयनात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, इतिहास में एक निश्चित अवधि के बाद जो कुछ हुआ उसके साक्ष्यों को नजरअंदाज करते हैं और ऐसे साक्ष्यों को देखना शुरू करते हैं जो अधिक तुलनात्मक हैं।”
जस्टिस (रिटार्यड) चंद्रचूड़ तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ के सदस्य थे, जिसने नवंबर 2019 में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने के पक्ष में फैसला सुनाया था। साथ ही, मुस्लिमों को मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया था।
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