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40 करोड़ का एम्यूजमेंट पार्क बनाएगी ठेकेदार कम्पनी, 19 लाख भाड़ा भी हर माह चुकाएगी

May 10, 2025

  • निगम ने खोले रीजनल पार्क को ठेके पर देने के टेंडर, पिछली बार से दो गुना से अधिक बढ़ गई राशि, २७ साल का होगा अनुबंध

इंदौर। नगर निगम ने कल रीजनल पार्क को ठेके पर देने से जुड़े टेंडरों को खोला, जिसमें तीन कम्पनियों ने हिस्सा लिया। पिछली बार जो टेंडर बुलाए थे उससे इस बार दो गुना से अधिक राशि के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिसमें सबसे ऊंची बोली 2 करोड़ 26 लाख रुपए प्रति वर्ष निगम को चुकाने की है। यानी हर माह लगभग 19 लाख रुपए का भाड़ा निगम को प्राप्त होगा। बदले में कम्पनी 10 एकड़ खाली पड़ी जमीन पर एम्यूजमेंट पार्क तो बनाएगी ही, वहीं होटल, फूड कोर्ट के साथ अन्य सुविधाएं भी विकसित करेगी।

80 एकड़ में पिपल्यापाला तालाब के पास रीजनल पार्क मौजूद है, जिसे कई साल पहले प्राधिकरण ने 50 करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि खर्च कर सजाया-संवारा और इंदौर ही नहीं, बल्कि प्रदेश का सबसे खूबसूरत पार्क बनाया। मगर जैसे ही इसका संचालन-संधारण नगर निगम को सौंपा, इसके दूरदिन शुरू हो गए और धीरे-धीरे सुविधाएं समाप्त होने के साथ रीजनल पार्क उजडऩे लगा। पूर्व में निगम ने दो मर्तबा ठेके पर देने के टेंडर बुलाए, मगर निर्णय नहीं लिया जा सका। उसके बाद अभी फिर से जो टेंडर बुलाए उसमें तीन कम्पनियों की फाइनेंशियल डीड कल खोली गई।


उसमें सबसे अधिक 2 करोड़ 26 लाख रुपए का प्रस्ताव ऑरेंज मेगा स्ट्रक्चर एलएलपी द्वारा दिया गया है। दूसरे स्थान पर 1 करोड़ 81 लाख का ऑफर देने वाली अरिहंत फाउंडेशन एंड हाउसिंग लिमिटेड, तो तीसरे स्थान पर 1 करोड़ 72 लाख 33 हजार का ऑफर देने वाली सोना इन्फ्रा पार्क प्रा.लि. रही। निगम के जनकार्य और उद्यान समिति प्रभारी राजेन्द्र राठौर के मुताबिक, पिछली बार 1 करोड़ 8 लाख रुपए का ही प्रस्ताव मिला था, जिसे निरस्त किया गया और निगम का फायदा हुआ और दो गुना से अधिक 2 करोड़ 26 लाख का नया प्रस्ताव मिला है। 27 साल के लिए निजी फर्म को इसके संचालन-संधारण और नई सुविधाओं को जुटाने का ठेका दिया जाएगा, जिसमें 40 करोड़ रुपए की लागत से ठेकेदार कम्पनी एम्यूजमेंट पार्क बनाएगी, जिसमें होटल, रेस्टोरेंट के साथ कई सौगातें शामिल रहेंगी। वहीं पिपल्यापाला तालाब में वोट चलाने से लेकर वॉटर स्पोट्र्स से जुड़ी गतिविधियां भी शुरू हो सकेंगी। शादी समारोह जैसे आयोजन की अनुमति ठेकेदार फर्म को रहेगी। वहीं बदले में जो शुल्क लिया जाएगा उसकी राशि निगम तय करवाएगा।

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