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150 एफआईआर निगम भी दर्ज करवा चुका है अवैध कॉलोनाइजरों के खिलाफ…

May 27, 2025

  • अब खसरों पर बसी 9 बड़ी कॉलोनियों की रजिस्ट्रियों के रिकॉर्ड भी मांगे
  • 31 दिसम्बर 2022 के बाद की रजिस्ट्रियां नहीं की जाएंगी मान्य
  • प्रशासन ने पंचायत क्षेत्र में जिन 58 कॉलोनियों के खिलाफ दर्ज करवाई एफआईआर उनके बाद में बिके भूखंड होंगे निरस्त

इंदौर। अवैध कॉलोनियों (Illegal colonies) को वैध करने की प्रक्रिया वैसे भी ढिली पड़ी है और दूसरी तरफ शासन प्रशासन (Government Administration) नित नए आदेश भा जारी कर देता है। पंचायत क्षेत्र (Panchayat Area) में विकसित हो रही अवैध कॉलोनियों के खिलाफ प्रशासन लगातार कार्रवाई कर रहा है और ऐसी 100 कॉलोनियों में से अभी तक 58 के खिलाफ एफआईआर (FIR) भी दर्ज करा दी है, जिसमें अब कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर रजिस्ट्रियों की जांच की जाएगी और गार्डन, खुली जमीन या अन्य गलत रजिस्ट्रियां होने पर इन जमीनों को राजसात किया जा सकता है। दूसरी तरफ निगम के कॉलोनी सेल ने अभी तक 150 एफआईआर अवैध कॉलोनाइजेशन के मामले में दर्ज करवा दी है और अब खसरों पर बसी 8 बड़ी कॉलोनियों से भी रजिस्ट्रियों के रिकॉर्ड मांगे जा रहे हैं। 31 दिसम्बर 2022 के बाद की रजिस्ट्रियां मान्य नहीं करने की बात प्रशासन ने की है।


नगर निगम के रिकॉर्ड में ही 800 से अधिक अवैध कॉलोनियां दर्ज रही, जिनमें से बमुश्किल 136 कॉलोनियों को ही नियमितिकरण की प्रक्रिया के तहत योग्य माना गया है। वहीं दूसरी तरफ 150 एफआईआर दर्ज कराने की सूची भी संबंधित थानों को भिजवाई गई और उनमें से अधिकांश में एफआईआर हो भी गई है। इसके साथ ही पूर्व में पंचायत क्षेत्र और बाद में निगम सीमा में शामिल हो गई बड़े भूखंडों की रसूखदारों की कॉलोनियों को भी वैध करने की प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें निपानिया स्थित लैंड लॉर्ड, बिचौली हप्सी स्थित प्रगति एवेन्यू, लसूडिय़ामोरी स्थित प्रिंसेस इस्टेट, प्रणाम इस्टेट, बिचौली हप्सी स्थित शांति विहार, वास्तु इंडिया रियलिटी, अक्षर धाम, रॉयल सिटी, गुरुकुल फॉर्म लिम्बोदी जैसी कॉलोनियां शामिल रही, जिनमें बड़े आकार के यानी 5, 10, 20 हजार स्क्वेयर फीट के भूखंड शामिल हैं। दरअसल, शासन ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए यह तय किया है कि 31 दिसम्बर 2022 के बाद बनी अवैध कॉलोनियों को वैध नहीं किया जाएगा, बल्कि उनके खिलाफ रिमूव्हल सहित एफआईआर की कार्रवाई होगी। वहीं अब प्रशासन के निर्देश पर निगम ने भी खसरों पर बसी बड़ी कॉलोनियों में हुई रजिस्ट्रियों के रिकॉर्ड मांगे हैं। इन कॉलोनियों के प्रकरण नियमितिकरण के लिए कॉलोनी सेल में लम्बित हैं और संबंधित कॉलोनाइजरों को जारी किए गए नोटिस में 31 दिसम्बर 2022 से पहले हुई रजिस्ट्रियों की सूची मांगी है। वहीं दूसरी तरफ कलेक्टर आशीष सिंह ने कल समय सीमा के प्रकरणों के निराकरण की टीएल बैठक में निर्देश दिए कि 31 दिसम्बर 22 के बाद की गई रजिस्ट्रियों को शून्य करवाया जाएगा। दरअसल, प्रशासन को यह शिकायत मिली कि इन कॉलोनियों में जो खुली जमीन या गार्डन के लिए छोड़ी गई जमीनें हैं उन्हें भी भूखंडों के रूप में बेचा जा रहा है, ताकि नियमितिकरण का लाभ इन नए रजिस्ट्रीधारकों को भी मिल सके। इसके चलते उक्त आदेश जारी किए गए और पिछले दिनों प्रशासन ने जो 58 एफआईआर अवैध कॉलोनाइजेशन के मामले में दर्ज कराई थी उनमें बिके भूखंडों की रजिस्ट्रियों को शून्य करने और उन जमीनों को राजसात करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह इतना आसान नहीं है, क्योंकि रजिस्ट्रियां कोर्ट के जरिए शून्य होगी और संबंधित पक्ष भी कोर्ट में लड़ेगा ही। फिलहाल प्रशासन का कहना है कि भूखंडधारकों को उनकी राशि वापस दिलवाई जाएगी और अवैध कॉलोनियों से अनियोजित विकास होता है। दूसरी तरफ नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का भी कहना है कि इंदौर सहित सभी शहरों में अवैध कॉलोनियां विकसित हो रही है, उनके खिलाफ विधानसभा में बिल भी लाया जा सकता है।

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