
इंदौर। स्वच्छता सर्वेक्षण (Sanitation Survey) की तैयारी में निगम (corporation) जोर-शोर से जुटा है। हालांकि अभी भी प्रमुख मार्गों और बाजारों (Markets) को छोडक़र गली-मोहल्लों (Alleys and neighborhoods), कॉलोनियों में कूड़े के ढेर नजर आ रहे हैं। दूसरी तरफ बैकलेन की साफ-सफाई, सौंदर्यीकरण के साथ गरीब बस्तियों को भी चमकाने में जुटा है। कच्चे-पक्के मकानों पर भी आकर्षक पेंटिंग की जा रही है, तो इससे जुड़े ग्रीन बेल्ट को भी सजाया-संवारा जा रहा है। दूसरी तरफ केन्द्र सरकार ने इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर कुछ अलग मापदण्ड तो तय किए ही, वहीं इंदौर सहित टॉप-10 शहरों की अलग से प्रतिस्पर्धा भी करवा दी।
नगर निगम द्वारा अभी शहर की प्रमुख सडक़ों, फुटपाथों को भी अतिक्रमण से मुक्त करवाया जा रहा है, तो साथ ही लगातार आठवीं बार स्वच्छता में नम्बर वन आने की दौड़ में भी शामिल है। हालांकि इस बार उसका मुकाबला कड़ा और स्वच्छता की रैंकिंग में विगत वर्षों में आए टॉप-10 शहरों से हो रहा है। कल केन्द्रीय आवास और शहरी विकास मंत्री मनोहरलाल खट्टर ने भी यह बात स्वीकार की कि लगातार इंदौर के नम्बर वन आने पर कई राज्यों और शहरों ने आपत्ति ली और यही कारण है कि इस बार इंदौर को अलग प्रतिस्पर्धा की श्रेणी में रखा गया है। वहीं उन्होंने इंदौर के मामले में यह भी कहा कि अब दूसरे शहर भी उसे कड़ी टक्कर दे रहे हैं। यहां तक कि पिछले साल ही गुजरात के सूरत ने इंदौर के साथ ही स्वच्छता में नम्बर वन के खिताब के साथ साझेदारी की। अब अन्य शहरों ने भी इंदौर की तर्ज पर अपनी रैंकिंग में सुधार किया और कई तरह के कचरे से निपटने से लेकर अन्य उपाय भी किए हैं। दूसरी तरफ महापौर पुष्यमित्र भार्गव से लेकर निगमायुक्त शिवम वर्मा और शहर को स्वच्छता के मामले में काफी हद तक पटरी पर लाने वाले अपर आयुक्त अभिलाष मिश्रा सहित सभी सफाई मित्र भी अब जोर-शोर से जुटे हैं कि इंदौर का नम्बर वन का खिताब कायम रहे, जिसके चलते प्रमुख चौराहों, सार्वजनिक स्थानों, सरकारी दीवारों पर आकर्षक पेंटिंग कराई जा रही है, तो बैकलेन के साथ-साथ गरीब बस्तियों के मकानों की दीवारों पर भी खूबसूरत पेंटिंग करवाई जा रही है।
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