
इंदौर। इस बार स्वच्छता सुपर लीग में इस बार इंदौर नम्बर वन आ गया, मगर अब लीग में बने रहने के लिए इंदौर सहित अन्य शहरों को न्यूनतम 85 फीसदी अंक हासिल करना होंगे। नतीजतन इंदौर निगम ने भी अगले स्वच्छता सर्वेक्षण की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि केन्द्र सरकार ने अभी गोद लिए जाने वाले शहर के साथ-साथ टूलकिट भी जारी नहीं की है। वहीं पुराने कपड़े की प्रोसेसिंग कराने के प्लांट के साथ-साथ निगम मृत पशुओं के अंतिम सरकार का प्लांट भी दीपावली तक शुरू कर देगा, जिसके लिए देवगुराडिय़ा पर जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। पशुओं वाला प्लांट तो खुद निगम बनवा रहा है। जबकि पुराने कपड़ों की प्रोसेसिंग वाला प्लांट पीपीपी मॉडल पर स्थापित करवाया जाएगा। पिछले दिनों ग्रीन वेस्ट के निपटान के लिए भी इसी तरह प्लांट शुरू करवाया गया था। कचरा सेग्रीगेशन में निकलने वाले अनुपयोगी कपड़ों का भी अब इस्तेमाल हो सकेगा।
इस बार भोपाल भी दूसरे स्थान पर स्वच्छता सर्वेक्षण में आया है और वहां पर टेक्सटाइल रीकवरी फेसेलिटी सेंटर खोला गया है, जहां पर पुराने कपड़ों की प्रोसेसिंग कर उससे धागा सहित अन्य सामग्री बनाई जा रही है। इसी साल जनवरी से भोपाल में यह प्लांट शुरू किया गया है और फिलहाल इस तरह का सबसे बड़ा प्लांट पानीपत में चल रहा है, जहां पर विदेशों से भी पुराने कपड़े रीसाइकिल होने के लिए प्राप्त होते हैं। वहीं इंदौर द्वारा भी आधा दर्जन से अधिक कचरे को अलग-अलग छांटा जाता है और फिर उससे जुड़े प्लांट स्थापित कर खाद, सीएनजी सहित अन्य उत्पाद तैयार किए जाते हैं।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव और आयुक्त शिवम वर्मा ने अब इंदौर में निकलने वाले अनुपयोगी और पुराने कपड़ों की प्रोसेसिंग का प्लांट भी शुरू करने का निर्णय लिया है। अपर आयुक्त अभिलाष मिश्रा के मुताबिक पीपीपी मॉडल पर यह प्रोसेसिंग प्लांट शुरू किया जाएगा और हमारे प्रयास हैं कि दीपावली तक इस प्लांट के साथ-साथ मृत पशुओं के अंतिम संस्कार का प्लांट भी शुरू कर दिया जाए, जिसके लिए निगम ने प्लांट का निर्माण शुरू भी कर दिया है। अभी तक मृत जानवरों को जमीन में दफना दिया जाता है जिससे बदबू सहित अन्य समस्याएं होती है। मगर अब हरियाणा की कम्पनी को प्लांट निर्माण का जिम्मा दिया गया है, जिस पर 3 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च होगी। अब जमीन में गाडऩे की बजाय मृत जानवरों का विधिवत अंतिम संस्कार किया जाएगा और वैज्ञानिक तथा पर्यावरण प्रदूषण अनुकुल तरीके से यह एनिमल इन्सनरेटर तैयार होगा। कई शहरों में यह सिस्टम चल भी रहा है। अब उसे इंदौर में भी जल्द शुरू कर दिया जाएगा, जिससे भू-जल प्रदूषण बदबू सहित अन्य समस्याएं भी नहीं रहेगी। साथ ही निगम ने अगले स्वच्छता सर्वेक्षण की तैयारी भी शुरू कर दी है।
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