
नई दिल्ली। राजस्थान (Rajasthan) के डीडवाना कुचामन जिले (Didwana Kuchaman district) के नावां में देश का पहला हाई स्पीड टेस्टिंग रेल ट्रैक (Country’s first High Speed Testing Rail Track) तैयार किया जा रहा है. इसका निर्माण 5 साल से हो रहा है और इस साल के अंत तक इसका निर्माण पूरा हो जाएगा. 62 किलोमीटर में फैले इस ट्रैक पर 37 मोड़ और कई पुल हैं, जिनसे गुजार कर ट्रेनों की स्पीड टेस्टिंग की जाएगी. यहां पर ट्रेन 220 किलोमीटर की स्पीड से दौड़ सकेंगी. भविष्य में इस ट्रैक पर बुलेट ट्रेन की भी टेस्टिंग हो जाएगी. इसमें 23 किलोमीटर लंबी मुख्य लाइन होगी, जिसमें से गुढ़ा साल्ट में 13 किलोमीटर का हाई-स्पीड लूप, नावां में 3 किलोमीटर का क्विक टेस्टिंग लूप और मिठड़ी में 20 किलोमीटर का कर्व टेस्टिंग लूप शामिल हैं.
हाई स्पीड टेस्टिंग रेल ट्रैक का 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है, जिसमें गांव गुढ़ा से लेकर नावां तक का काम शामिल है. नावां सिटी से लेकर मीठड़ी गांव तक का काम अभी चल रहा है. इस ट्रैक का निर्माण नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) की देखरेख में किया जा रहा है. इस परियोजना के पूरा होते ही भारत भी उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जो हाई-स्पीड रेल तकनीक का स्वतंत्र परीक्षण करने में सक्षम हैं.
50 साल तक मिट्टी में दबा रहा ट्रैक
हाई स्पीड ट्रैक जिस रूट पर बनाया गया है वहां अंग्रेजों ने जयपुर-जोधपुर के लिए बिछाया था. यह लाइन पिछले 50 साल से मिट्टी में दब चुकी थी. रेलवे ने सैटेलाइट सर्वे की मदद से इसे खोजा और उस पर नया नेटवर्क तैयार किया. गुढ़ा से मीठड़ी (ठठाना) तक बन रहे इस टेस्ट ट्रैक की कुल लंबाई करीब 64 किलोमीटर है. ट्रैक में पुल, अंडरब्रिज और ओवरब्रिज जैसे कई आधुनिक स्ट्रक्चर बनाए गए हैं, जिनसे गुजरते हुए ट्रेन की प्रदर्शन क्षमता का मूल्यांकन होगा।
इस ट्रैक पर 220 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनों को दौड़ाकर उनकी गति, स्थिरता और संरचना का परीक्षण किया जाएगा. गुढ़ा साल्ट और ठठाना मीठड़ी के बीच बिछाए जा रहे इस ट्रैक पर आरसीसी और स्टील के पुल बनाए गए हैं. इन पुलों में कंपन रोधी नई तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है, ताकि यह जांचा जा सके कि हाई-स्पीड पर ट्रेन गुजरने से संरचनाओं पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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