
संघ की एक सेवा विंग से जुड़े शहर के पदाधिकारी को भी चुनाव लडऩे के सपने आ गए थे। उनका नाम जिस तेजी से उभरा, उतनी ही तेजी से नीचे भी आ गया और फटकार पड़ी सो अलग। खबर तो अब यह है कि उक्त पदाधिकारी के पर संघ ने काटने का निर्णय लिया है। इन पर संघ के वरिष्ठों की वक्रीय दृष्टि पड़ गई है, जिन्होंने अपना गुणगान अपने ही मुंह से किया।
बताया जा रहा है कि वे जिस संस्थान का कामकाज संभाल रहे थे, वहां से उन्हें हटाने का निर्णय लिया जा रहा है। पहली बार संघ और उसके आनुषंगिक संगठनों में काम कर चुके कुछ पदाधिकारियों ने भी खुलकर अपने नाम विधानसभा चुनाव के दावेदारों के रूप में चलवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ऐसे पदाधिकारियों पर भी संघ के आला पदाधिकारियों की निगाह टेढ़ी है। दरअसल संघ जिसे राजनीति में उतारता है उसे अपने सभी पदों से मुक्त करके ही भेजता है और फिर वहां से संघ में वापसी मुश्किल होती है, लेकिन संघ से बाहर निकले बिना इस तरह की अनुशासनहीनता की घटना को गंभीरता से लिया जा रहा है। आने वाले समय में इसके परिणाम नजर आने वाले हैं।
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