
डेस्क: गुरुवार को भारत (India) के करेंसी मार्केट (Currency Market) में फिर से जोश देखने को मिला. रुपए (Rupees) में लगातार तीन दिनों की गिरावट के बाद तेजी देखने को मिली. रुपए अपने लाइफ टाइम लोअर लेवल से उबरता हुआ दिखाई दिया. उसका कारण भी है. जहां डॉलर (Dollar) इंडेक्स में गिरावट देखने को मिल रही है. वहीं दूसरी ओर कच्चे तेल की कीमतों में भी गिरावट देखी गई है. जिसकी वजह से रुपया डॉलर के मुकाबले में उबरता हुआ दिखाई दिया है.
जानकारों की मानें तो खतरा अभी भी टला नहीं है. रुपए में आने वाले दिनों में उतार चढ़ाव देखने को मिल सकता है. अभी रुपए को नुकसान पहुंचाने वाले फैक्टर्स जिंदा हैं. जहां एच1बी वीजा फीस हाइक रुपए को और नुकसान पहुंचा सकती है. वहीं ट्रंप का टैरिफ और विदेशी निवेशकों का शेयर बाजार से पलायन भी रुपए को डेंट पहुंचा सकता है.
विदेशी बाजार में अमेरिकी डॉलर की कमजोरी के चलते गुरुवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अपने लाइफ टाइम लोअर लेवल से 15 पैसे बढ़कर 88.60 प्रति डॉलर पर पहुंच गया. फॉरेन करेंसी ट्रेडर्स ने कहा कि इस सप्ताह रुपया नए दबाव का सामना कर रहा है, क्योंकि कई फैक्टर्स ने मिलकर रुपए पर दबाव बनाया है. एच-1बी वीजा शुल्क वृद्धि, ट्रंप टैरिफ और लगातार विदेशी फंड निकासी जैसे फैक्टर्स ने निवेशकों की भावनाओं को और प्रभावित किया.
इंटरबैंक फॉरेन करेंसी मार्केट में, रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 88.65 पर खुला और फिर 88.60 पर पहुंच गया, जो पिछले बंद भाव से 15 पैसे ज्यादा है. बुधवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 2 पैसे की गिरावट के साथ 88.75 प्रति डॉलर के अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ. विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि निवेशक वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं और भारत के आईटी सर्विस एक्सपोर्ट पर अमेरिकी वीजा शुल्क वृद्धि के प्रभाव को लेकर चिंतित हैं.
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