
इन्दौर। नर्मदा का तीसरा चरण भले ही आबादी और शहर विस्तार के आधार के मान से जलापूर्ति नहीं करता हो, मगर निगम का दावा है कि चौथा चरण आगामी 30 सालों तक पर्याप्त जलापूर्ति करता रहेगा। अमृत प्रोजेक्ट के तहत चौथे चरण को अमल में लाया जा रहा है और इसमें जो 1100 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि खर्च होगी। उसकी प्रतिपूर्ति के लिए निगम अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम से 1700 करोड़ रुपए का लोन ले रहा है, जिसका एमओयू कल महापौर और आयुक्त ने साइन किया। इस दौरान आईएफसी की ओर से उनके प्रतिनिधि मोहित बनेड़ीवाल और विक्टोरिया डेलमैन भी मौजूद रही।
कल ही अग्निबाण ने इस 1700 करोड़ रुपए के लिए जाने वाले लोन की विस्तृत जानकारी प्रकाशित की थी, जिसमे ंबताया गया कि 3 साल बाद इस लोन की किस्तें शुरू होगी और 15 साल की समयावधि में निगम इस 1700 करोड़ के लोन का भुगतान करेगा। महापौर पुष्यमित्र भार्गव के मुताबिक यहहमारे लिए गर्व का विषय है कि बिना किसी गारंटी और कोलेट्रल के सिर्फ निगम की क्षमता के आधार पर हमें 1700 करोड़ रुपए का यह बड़ा लोन मिला है। आईएफसी वित्तीय सहयोग के साथ-साथ तकनीकी स्तर पर भी मदद करेगी, जिससे इन्दौर के विकास के लिए मार्गदर्शक साबित होगा।
मेयर का कहना है कि नर्मदा का चौथा चरण 2045 से लेकर 2055 तक इन्दौर की जरूरतों और जलापूर्ति क्षमता को सुनिश्चित करेगा। उन्होंने आईएफसी टीम का स्वागत करते हुए कहा कि यह पहला मौका है जब देश के किसी शहर को इतना बड़ा लोन बिना किसी गारंटी के देने के लिए आपसी सहमति हुई। कल नगर निगम और अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम के बीच इस लोन के लिए एमओयू साइन हुआ, जिस पर आईएफसी प्रतिनिधियों के साथ निगमायुक्त शिवम वर्मा ने एमओयू पर हस्ताक्षर कर दस्तोवजों का आदान-प्रदान किया। लोन में ली जाने वाली 600 करोड़ की अन्य राशि का इस्तेमाल नगर निगम के नए भवन, वर्कशाप और चंदननगर ब्रिज में इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें से 1100 करोड़ रुपए तो नर्मदा प्रोजेक्ट में खर्च होंगे और शेष 600 करोड़ की राशि निगम अपने अन्य प्रोजेक्टों में खर्च करेगा।
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