
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने सोमवार को गुजरात सरकार(Gujarat Government) और प्रवर्तन निदेशालय(Enforcement Directorate) से पत्रकार महेश लांगा(Journalist Mahesh Langa) की कथित वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले में जमानत का अनुरोध करने वाली याचिका पर जवाब मांगा है। देश के भावी मुख्य न्यायाधीश (Next CJI) जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने गुजरात हाई कोर्ट द्वारा जमानत देने से इनकार करने को चुनौती देने वाली लांगा की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए पूछा कि वह किस तरह के पत्रकार हैं।
पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा, ‘‘वह किस तरह के पत्रकार हैं?’’ इतना ही नहीं, पीठ ने सिब्बल से कहा, ‘‘पूरे सम्मान के साथ कहें तो, कुछ बहुत ही सच्चे पत्रकार हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो स्कूटर पर बैठकर कहते हैं कि हम ‘पत्रकार’ हैं और वे असल में क्या करते हैं, यह सबको पता है।’’
FIR पर FIR क्यों गिनाने लगे कपिल सिब्बल
इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि ये सब आरोप हैं और वे FIR पर FIR गिनाने लगे। सिब्बल ने कहा, ‘‘एक प्राथमिकी में उन्हें अग्रिम जमानत मिल जाती है, फिर दूसरी प्राथमिकी दर्ज होती है और फिर से अग्रिम ज़मानत मिल जाती है, लेकिन अब उन पर आयकर चोरी के आरोप में तीसरी प्राथमिकी दर्ज की गई है। उनके ख़िलाफ़ और भी कई आरोप हैं।’’ उन्होंने पूछा, यह क्या हो रहा है, एक के बाद एक FIR हो रहे हैं। इस पर पीठ ने नोटिस जारी कर अधिकारियों से जवाब मांगा।
पत्रकार महेश लांगा पर गंभीर आरोप
दरअसल, पत्रकार महेश लांगा पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने और 200 कंपनियाँ बनाने के आरोप हैं। इसी पर जस्टिस कांत ने सिब्बल से पूछा, ” वह किस तरह के पत्रकार हैं? लोग हिसाब-किताब और हलफनामे लेकर आ रहे हैं।” इस पर सिब्बल ने कहा कि डेढ़ साल बाद लोग आ रहे हैं और ये सभी आरोप हैं। इसके बाद पीठ ने नोटिस जारी कर दिया।
हाई कोर्ट खारिज कर चुका है जमानत अर्जी
गुजरात हाई कोर्ट ने 31 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय जांच किए जा रहे धन शोधन मामले में लांगा की ज़मानत याचिका इस आधार पर खारिज कर दी थी कि अगर उन्हें ज़मानत पर रिहा किया गया तो अभियोजन पक्ष के मामले पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। ईडी ने 25 फ़रवरी को कहा था कि उसने कथित वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़ी धन शोधन जांच के सिलसिले में लांगा को गिरफ़्तार किया है। लांगा को पहली बार अक्टूबर 2024 में जीएसटी धोखाधड़ी के एक मामले में गिरफ़्तार किया गया था।
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