
नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament’s Winter Session) में ग्रामीण रोजगार (Rural Employment) की दिशा बदलने वाला एक महत्वपूर्ण विधेयक भारी विरोध और हंगामे (Heavy Protests and Unrest) के बीच दोनों सदनों से पारित हो गया। यह विधेयक विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 (Developed India Guaranteed Employment and Livelihood Mission (Rural) Bill, 2025) ( VB-G RAM G ) दो दशक पुराने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act -MNREGA) की जगह लेगा। गुरुवार दोपहर को विरोध प्रदर्शनों और सदन से वॉकआउट के बावजूद विधेयक लोकसभा से पारित हो गया। राज्यसभा में बहस आधी रात के बाद तक चली और लगभग 12:15 बजे मतदान शुरू हुआ।
महात्मा गांधी के नाम को हटाकर नया नाम रखने के विरोध में कांग्रेस के भारी आक्रोश के बावजूद, बहुमत को देखते हुए परिणाम निर्विवाद था। फिर भी विपक्ष ने कड़ा विरोध किया और पहले तो विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की। बाद में उन्होंने विधेयक को पूरी तरह से वापस लेने की मांग की। अंत में वे सदन से बाहर चले गए और सत्ताधारी गठबंधन के सदस्यों की उपस्थिति में विधेयक दोनों सदनों में पारित हो गया।
इससे पहले राज्यसभा में हुई तीखी बहस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरखे ने प्रस्तावित कार्यक्रम पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह गरीबों को बर्बाद कर देगा और सरकार से कानून वापस लेने का अनुरोध किया। ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान को संबोधित करते हुए खरगे ने कहा कि चौहान जी, एक बार फिर सोचिए। कानून वापस लेने का अभी भी समय है। अभी भी समय है… सरकार ने कई कानून वापस लिए हैं। क्या सरकार को कोई झटका लगा? आपने कृषि से संबंधित तीन काले कानून वापस लिए। अगर आप यह कानून भी वापस ले लेते हैं, तो आप हीरो बन जाएंगे। आप सिर्फ ‘मामा’ नहीं, बल्कि ‘मामाजी’ कहलाएंगे।
उन्होंने आगे कहा कि अपने होठों पर ‘राम’ का उच्चारण करो और हाथ में खंजर रखो! तुम गरीबों के लिए ‘राम राम’ कहते रहते हो, लेकिन तुम्हारी पीठ के पीछे खंजर छिपा हुआ है… मैंने अपनी मां को नहीं देखा है… मैं उनकी कसम खाता हूं, मैं भारत माता की कसम खाता हूं, कि यह कानून गरीबों के लिए अच्छा नहीं है।
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