
नई दिल्ली । केंद्र सरकार(Central government) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) से कहा कि न तो कोई राज्य और न ही केंद्र सरकार राष्ट्रपति और राज्यपाल की विधेयकों (Governor’s Bills)पर कार्रवाई के खिलाफ याचिका दायर (Petition filed)कर सकती है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू यह जानना चाहती हैं कि क्या राज्यों को अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचार का अधिकार) के तहत मूल अधिकारों के उल्लंघन का हवाला देकर याचिका दायर करने का अधिकार है।
चीफ जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। यह संदर्भ राष्ट्रपति ने उस समय भेजा था जब सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राष्ट्रपति और राज्यपाल को विधेयकों पर कार्रवाई करने के लिए समय सीमा तय की थी।
तुषार मेहता ने कहा कि संविधान में कुछ प्रावधान ऐसे हैं, जो सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों पर प्रतिबंध लगाते हैं। अनुच्छेद 32 का प्रयोग केवल नागरिकों या व्यक्तियों के मूल अधिकारों की रक्षा के लिए किया जा सकता है। चूंकि राज्य के पास कोई मूल अधिकार नहीं है, वह अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर नहीं कर सकता है। अनुच्छेद 361 राष्ट्रपति और राज्यपाल को उनके कार्यों के लिए अदालतों के प्रति जवाबदेह न होने की संवैधानिक प्रतिरक्षा देता है।
तमिलनाडु का विरोध
तमिलनाडु सरकार ने केंद्र के रुख का विरोध किया और कहा कि राज्यपाल किसी विधेयक को अनिश्चित काल तक रोक नहीं सकते। राज्य ने तर्क दिया कि केंद्र 1975 के शमशेर सिंह बनाम पंजाब राज्य मामले की गलत व्याख्या कर रहा है।
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