
नई दिल्ली । भारत सरकार(Government of India) लक्षद्वीप(Lakshadweep) के ‘बिट्रा द्वीप’ के अधिग्रहण की तैयारी(Preparing for the acquisition) कर रही है। जानकारी के मुताबिक इस द्वीप का इस्तेमाल रक्षा उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। यहां पर रहने वाले लोगों को भी विस्थापित किया जा सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें लक्षद्वीप के अन्य इलाकों में बसाया जाएगा। वहीं लक्षद्वीप से सांसद हमदुल्ला सईद ने सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध किया है।
जारी हो गया नोटिफिकेशन
सांसद हमदुल्ला सईद ने बिट्रा के स्थानीय निवासियों को अपना पूरा समर्थन देते हुए आश्वासन दिया कि इस प्रस्ताव का विरोध करने के लिए वे राजनीतिक और कानूनी रास्ते अपनाएंगे। हाल ही में जारी सरकारी अधिसूचना में राजस्व विभाग को बिट्रा द्वीप के सम्पूर्ण भू-क्षेत्र को अपने अधीन लेने का प्रस्ताव दिया गया है। इसका उद्देश्य इसे केंद्र की प्रासंगिक रक्षा और रणनीतिक एजेंसियों को हस्तांतरित करना है।
पिछले सप्ताह जारी अधिसूचना में बताया गया है कि यह कदम द्वीप की रणनीतिक स्थिति, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से इसकी प्रासंगिकता और वहां की नागरिक आबादी से जुड़ी प्रशासनिक व रसद संबंधी चुनौतियों को ध्यान में रखकर उठाया गया है। क्षेत्रीय प्रशासन 2013 के भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन अधिनियम के तहत उचित मुआवजा एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए द्वीप का अधिग्रहण करेगा। इस बीच, लक्षद्वीप के सांसद हामदुल्ला सईद ने केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा बिट्रा द्वीप को अधिग्रहित करने के कदम का कड़ा विरोध किया है।
उन्होंने कहा कि इस निर्णय के पीछे असली मंशा स्थानीय आबादी को वहां से विस्थापित करना है। सांसद के कार्यालय से जारी एक बयान में सांसद हामदुल्ला सईद ने कहा कि बिट्रा लक्षद्वीप का सबसे छोटा आबादी वाला द्वीप है और वह इसे रक्षा जरूरतों के बहाने अधिग्रहित करने के प्रशासन के प्रयास का जोरदार विरोध करेंगे।
उन्होंने इस निर्णय को तत्काल वापस लेने की भी मांग की। सईद ने बताया कि रक्षा उद्देश्यों के लिए आवश्यक भूमि सरकार द्वारा कई द्वीपों पर पहले ही अधिग्रहित कर ली गई है। उन्होंने कहा कि इनमें से किसी भी विकल्प पर विचार किए बिना, दशकों से स्थायी आबादी वाले बिट्रा द्वीप को निशाना बनाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
उन्होंने प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह की कार्रवाई बिना स्थानीय निवासियों से किसी भी प्रकार की बातचीत के की जा रही है, खासकर उस समय जब द्वीपों में स्थानीय पंचायतें भी सक्रिय नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की एकतरफा कार्रवाई लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करती है और नागरिकों को संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन है। सांसद ने अपने बयान में आश्वासन दिया कि वह बिट्रा द्वीप के लोगों के साथ मजबूती से खड़े रहेंगे और इस कदम का विरोध करने के लिए सभी राजनीतिक और कानूनी रास्तों को अपनाएंगे।
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