
भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) सरकार (Goverment) अब बजट बनाने की नई प्रणाली (New System) अपनाने जा रही है। प्रदेश में पहली बार तीन साल का त्रिवर्षीय रोलिंग बजट (Three-year Rolling Budget) तैयार किया जाएगा। इसका लक्ष्य है कि विकास योजनाएं लंबे समय तक प्रभावी रहें और 2047 तक विकसित मध्यप्रदेश के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। इसके साथ ही प्रदेश शून्य आधारित बजटिंग और त्रिवर्षीय रोलिंग बजट वाला पहला राज्य बनेगा।
प्रदेश सरकार का फोकस केवल आर्थिक वृद्धि (Economic Growth) पर ही नहीं, बल्कि रोजगार सृजन, आधारभूत संरचना निर्माण और सामाजिक न्याय पर भी है। इसी दिशा में सरकार ने मध्यप्रदेश के सर्वांगीण विकास (All Round Development) के लिए बजट को अगले पांच वर्ष में दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। सरकार का कहना है कि इस प्रणाली से योजनाएं केवल कागजों में नहीं रहेंगी, बल्कि जमीनी स्तर पर उनका असर दिखेगा। इससे वित्तीय अनुशासन, जवाबदेही और विकास कार्यों में तेजी आएगी।
उप मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा (Jagdish Devda) ने कहा कि यह पहल ‘विकसित मध्य प्रदेश 2047’ की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में ठोस आधार बनेगी और देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक आदर्श साबित होगी। देवड़ा ने कहा कि शून्य आधारित बजटिंग और त्रिवर्षीय रोलिंग बजट से न केवल प्रदेश की योजनाओं का ठोस मूल्यांकन होगा, बल्कि प्रत्येक खर्च का सीधा संबंध समाज की आवश्यकताओं और राज्य की प्राथमिकताओं से जोड़ा जा सकेगा। यह कदम मध्यप्रदेश को विकसित भारत और विकसित मध्य प्रदेश 2047 की दिशा में सबसे मजबूत आधार प्रदान करेगा।
नए बजट की तैयारी 15 सितंबर से विभागीय बैठकों के जरिए शुरू होगी। इन बैठकों में नई योजनाओं के प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी। इसके बाद 31 अक्टूबर तक विभाग अपने प्रस्ताव भेजेंगे और 15 नवंबर तक उनकी समीक्षा कर अंतिम स्वरूप दिया जाएगा। रोलिंग बजट में वर्ष 2026-27, 2027-28 और 2028-29 को शामिल किया जाएगा। हर योजना की स्वीकृति से पहले उसका मूल्यांकन होगा। यह देखा जाएगा कि योजना पर कितना खर्च आएगा, उसका आर्थिक असर क्या होगा और वह जनता तक कितनी प्रभावी ढंग से पहुंचेगी।
सरकार ने तय किया है कि जिन विभागों को केंद्र सरकार से फंड मिलता है, उनकी निगरानी भी की जाएगी। इसके अलावा ऑफ-बजट खर्च, ऋण, प्रोत्साहन योजनाएं और नई योजनाओं की स्वीकृति की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया जाएगा। कर्मचारियों के वेतन में चार प्रतिशत सालाना वृद्धि का प्रावधान रहेगा। साथ ही अनुसूचित जाति के लिए 16 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए 23 प्रतिशत बजट सुनिश्चित किया जाएगा।
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